Gandhi Jayanti: फिल्म 'गांधी (1982)' को ऑस्कर में मिले 11 नॉमिनेशन, जीते 8 अवॉर्ड
नई दिल्ली:
राष्टपिता महात्मा गांधी (Mahatma Gandhi) की आज 150वीं जयंती (Gandhi Jayanti) है. मोहनदास करमचंद गांधी का जन्म 2 अक्टूबर, 1869 को गुजरात के पोरबंदर में हुआ था. बापू के जीवन पर अब तक कई फिल्में बन चुकी हैं, जिसमें उनके व्यक्तित्व और करिश्मे को बारीकी से समझाया गया है. इसमें से सबसे ज्यादा लोकप्रिय साल 1982 में आई फिल्म 'गांधी (Gandhi)' है, जिसे ऑस्कर अवॉर्ड्स में 11 नोमिनेशन मिले थे. फिल्म ने बेस्ट पिक्चर, बेस्ट डायरेक्टर और बेस्ट एक्टर समेत 8 पुरस्कार अपने नाम किए थे.
1- बेन किंग्सले काफी हद तक मोहनदास (Mohandas Karamchand Gandhi) की तरह दिखते थे. कई लोग उन्हें गांधी का भूत मानते थे. इतना ही नहीं शूटिंग के दौरान भारत के कुछ ग्रामीण हिस्सों में जब बैन किंग्सले पूरे मेकअप के साथ गांधी बनकर नजर आते थे. तब कई समुदायों के लोग उन्हें देखकर चौंक जाते थे. उन्हें लगता था गांधी वापस लौट आए हैं.
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2- फिल्म में महात्मा के अंतिम संस्कार की सीक्वेंस को 3 लाख एक्सट्रा लोगों की मदद से शूट किया गया था. इसमें से दो लाख लोगों ने शूटिंग के लिए कोई फीस नहीं ली, जबकि 94,560 लोगों ने अपने काम के लिए बहुत कम पैसे (अनुबंध के तहज) लिए थे. इस सीन की शूटिंग गांधी की 33वीं पुण्यतिथि के मौके पर 31 जनवरी, 1981 को हुई थी.
देखें, फिल्म का ट्रेलर...
3- हॉलीवुड एक्टर डस्टिन हॉफमैन ने पहले गांधी (1982) में प्रमुख किरदार निभाने के लिए शुरुआती इच्छा जाहिर की थी, लेकिन इसी साल उन्हें फिल्म टूटसी (1982) ऑफर हुई और उन्होंने इसमें काम करने का निर्णय लिया. उस वर्ष ऑस्कर अवॉर्ड में डस्टिन अभिनेता बेन किंग्सले से हार गए, जिन्होंने मोहनदास गांधी का किरदार निभाया के लिए बेस्ट एक्टर का अवॉर्ड जीता.
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4- गांधी का किरदार निभाने के लिए बेन किंग्सले ने काफी मशक्कत की. उन्होंने बापू के कई पुराने वीडियो फुटेज देखे, उनपर लिखी किताब पढ़ी, वजन घटाया, योगा सीखा. अपने किरदार को बेहतर बनने के लिए उन्होंने गांधी की तरह चरखा चलाना भी सीखा. हालांकि, उनके लिए यह चुनौती भरा नहीं था. सबसे ज्यादा मुश्किल उन्हें चरखा चलाते हुए बातें करने में आई.
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5- मूल रूप से अंतिम संस्कार के सीन में गांधी बने बेन किंग्सले का मोम का पुतला रखा जाना था. हालांकि, शूटिंग के दिन डायरेक्टर रिचर्ड एटनबरो को महसूस हुआ कि मोम का पुतला रखना मूर्खता होगी, क्योंकि लोग इसे आसानी से भांप लेंगे. ऐसे में किंग्सले ने खुद इस सीन को शूट किया. शूटिंग के दौरान उनपर लगातार पंखुड़ियों गिर रही थी, बावजूद इसके उन्होंने आंखें बंद रखी. 3 लाख लोगों के साथ शूट किए गए इस सीन को गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स में जगह मिली.
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रिचर्ड एटनबरो (Richard Attenborough) के निर्देशन में बनी इस फिल्म में हॉलीवुड अभिनेता बेन किंग्सले (Ben Kingsley) ने गांधी की भूमिका में जान डाल दी थी. दिलचस्प बात यह थी कि बेन किंग्सले (असली नाम कृष्ण पंडित भानजी) के पिता का परिवार गुजरात से जुड़ा था. बापू का जन्म भी गुजरात के पोरबंदर में हुआ था. एक नजर फिल्म से जुड़े 5 सबसे दिलचस्प किस्सों पर...
1- बेन किंग्सले काफी हद तक मोहनदास (Mohandas Karamchand Gandhi) की तरह दिखते थे. कई लोग उन्हें गांधी का भूत मानते थे. इतना ही नहीं शूटिंग के दौरान भारत के कुछ ग्रामीण हिस्सों में जब बैन किंग्सले पूरे मेकअप के साथ गांधी बनकर नजर आते थे. तब कई समुदायों के लोग उन्हें देखकर चौंक जाते थे. उन्हें लगता था गांधी वापस लौट आए हैं.
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2- फिल्म में महात्मा के अंतिम संस्कार की सीक्वेंस को 3 लाख एक्सट्रा लोगों की मदद से शूट किया गया था. इसमें से दो लाख लोगों ने शूटिंग के लिए कोई फीस नहीं ली, जबकि 94,560 लोगों ने अपने काम के लिए बहुत कम पैसे (अनुबंध के तहज) लिए थे. इस सीन की शूटिंग गांधी की 33वीं पुण्यतिथि के मौके पर 31 जनवरी, 1981 को हुई थी.
देखें, फिल्म का ट्रेलर...
3- हॉलीवुड एक्टर डस्टिन हॉफमैन ने पहले गांधी (1982) में प्रमुख किरदार निभाने के लिए शुरुआती इच्छा जाहिर की थी, लेकिन इसी साल उन्हें फिल्म टूटसी (1982) ऑफर हुई और उन्होंने इसमें काम करने का निर्णय लिया. उस वर्ष ऑस्कर अवॉर्ड में डस्टिन अभिनेता बेन किंग्सले से हार गए, जिन्होंने मोहनदास गांधी का किरदार निभाया के लिए बेस्ट एक्टर का अवॉर्ड जीता.
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4- गांधी का किरदार निभाने के लिए बेन किंग्सले ने काफी मशक्कत की. उन्होंने बापू के कई पुराने वीडियो फुटेज देखे, उनपर लिखी किताब पढ़ी, वजन घटाया, योगा सीखा. अपने किरदार को बेहतर बनने के लिए उन्होंने गांधी की तरह चरखा चलाना भी सीखा. हालांकि, उनके लिए यह चुनौती भरा नहीं था. सबसे ज्यादा मुश्किल उन्हें चरखा चलाते हुए बातें करने में आई.
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5- मूल रूप से अंतिम संस्कार के सीन में गांधी बने बेन किंग्सले का मोम का पुतला रखा जाना था. हालांकि, शूटिंग के दिन डायरेक्टर रिचर्ड एटनबरो को महसूस हुआ कि मोम का पुतला रखना मूर्खता होगी, क्योंकि लोग इसे आसानी से भांप लेंगे. ऐसे में किंग्सले ने खुद इस सीन को शूट किया. शूटिंग के दौरान उनपर लगातार पंखुड़ियों गिर रही थी, बावजूद इसके उन्होंने आंखें बंद रखी. 3 लाख लोगों के साथ शूट किए गए इस सीन को गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स में जगह मिली.
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