जरूरी नहीं कि हर फिल्म की शुरुआत हीरो और हीरोइन के टकराने से और फिर पहली नजर में प्यार हो जाने से हो. और फिर पूरी फिल्म उसी प्रेमकहानी के इर्द गिर्द घूमती रह जाए. कुछ फिल्में ऐसी भी होती हैं जो आम लोगों की कहानी को कम से कम मिर्च मसाला लगा कर परोसती हैं और एक नपे तुले तंज के साथ उन्हें पेश करती हैं. ऐसी ही एक फिल्म है पीपली लाइव जिसमें किसानों के दर्द को नुमाया किया गया. उस दर्द का माखौल कैसे उड़ता है फिल्म में उसका भी जिक्र हुआ. असल हकीकत को बयां करती इस फिल्म ने दर्शकों के दिल को इस तरह छुआ कि 10 करोड़ में बनी फिल्म ने 48 करोड़ रु. कमा डाले.
फिल्म ने की बंपर कमाई
फिल्म पीपली लाइव की खास बात ये थी कि इसमें न कोई बड़ा सितारा था, न बहुत भारी भरकम लोकेशन, कहानी किसानों की थी तो कहानी भी उन्हें के आसपास बुनी गई. उसी माहौल में बुनी गई जिस माहौल में किसान रहते हैं. आर्टिस्ट भी ऐसे चुने गए जो कहानी में फिट बैठें और उसके साथ इंसाफ भी कर चुके. एक ड्रेमेटिक स्टोरी के साथ सब कुछ ऐसे रियलिस्टिक तरीके से फिल्माया गया, जो दर्शकों की पसंद पर खरा भी उतरा. जिस वजह से सिर्फ 10 करोड़ रु. के बजट में बनी इस फिल्म ने 48 करोड़ रु की कमाई कर डाली.
नत्था की कहानी
फिल्म की कहानी पीपली नाम के गांव की है. जहां एक किसान रहता है नत्था. ये किसान तय कर लेता है कि किसानों को मुआवजा दिलाने के लिए आत्महत्या तक करने के लिए तैयार हो जाता है. उसकी मदद कर काम आसान करने की जगह मीडिया और दूसरे लोग वहां तमाशा देखने पहुंच जाते हैं. इस कड़वी सच्चाई को फिल्म में एक तंज की तरह पेश किया गया.
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