
मशहूर गीतकार गोपालदास नीरज (फाइल फोटो)
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गोपालदास नीरज का निधन
93 साल की उम्र में गुजरे
एम्स में ली आखिरी सांस
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उनका पूरा नाम गोपालदास सक्सेना 'नीरज' (Gopaldas Neeraj) था. वह एक मशहूर हिन्दी साहित्यकार ही नहीं बल्कि फिल्मों के गीत लेखक के लिए भी पहचाने जाते थे. उन्हें साहित्य की क्षेत्र से भारत सरकार ने पद्म श्री और पद्म भूषण सम्मान से नवाजा है. फिल्मों में सर्वश्रेष्ठ गीत लेखन के लिए तीन बार फिल्म फेयर अवॉर्ड भी मिला. गोपालदास नीरज का जन्म 4 जनवरी 1925 को उत्तर प्रदेश के इटावा जिले के पुरावली गांव में हुआ था. मात्र 6 वर्ष की आयु में पिता गुजर गये.
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शुरुआत में इटावा की कचहरी में कुछ समय टाइपिस्ट का काम किया उसके बाद सिनेमाघर की एक दुकान पर नौकरी की. लम्बी बेकारी के बाद दिल्ली जाकर सफाई विभाग में टाइपिस्ट की नौकरी की. वहां से नौकरी छूट जाने पर कानपुर के डीएवी कॉलेज में क्लर्की की. उन्होंने मेरठ कॉलेज में हिन्दी प्रवक्ता के पद पर कुछ समय तक अध्यापन कार्य भी किया. कवि सम्मेलनों में लोकप्रियता के चलते नीरज को मुंबई के फिल्म जगत ने गीतकार के रूप में काम करने का मौका मिला.
देखें ये गीत-
इसके बाद उन्होंने बॉलीवुड की कई फिल्मों के लिए गाने लिखे. उनके लिखे गाने ऐसे अमर हुए कि आज भी लोग उनके गाने को गुनगुनाते हुए दिख जाएंगे. उनके लिखे हुए 'लिखे जो खत तुझे...', 'आज मदहोश हुआ जाए...', 'ए भाई जरा देखके चलो...', 'दिल आज शायर है, ग़म आज नगमा है...', 'शोखियों में घोला जाये, फूलों का शबाब..' जैसे तमाम गानों को लिखकर अमर हो गये.
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