ब्रिटिश राज के दौरान फिल्में अंग्रेजी शासन के खिलाफ विरोध या गुस्सा जाहिर करने के मकसद से रिलीज की जाती थीं. इन पर कई बार सरकार की तरफ से काफी विरोध होता था. ऐसी ही एक फिल्म थी 'भक्त विदुर'. 1921 में आई ये फिल्म मुंबई में बनी थी. कांजीभाई राठौड़ के डायरेक्शन में बनी ये फिल्म पहली ऐसी भारतीय फिल्म है जिसे बैन किया गया था. बैन करने वाली थी ब्रिटिश सरकार. फिल्म 'भक्त विदुर' महाभारत महाकाव्य की कहानी पर आधारित थी. इसकी कहानी धृतराष्ट्र और पांडु के सौतेले भाई और कौरवों और पांडवों के बीच संघर्ष और उसके बाद हुए युद्ध के इर्द-गिर्द घूमती है.
इस फिल्म के रिलीज होने पर सेंसरशिप के सवाल पर एक बड़ा विवाद खड़ा हो गया. फिल्म में ज्ञान और ज्ञान से भरपूर विदुर का किरदार गांधी जी के अवतार के रूप में नजर आया था. मद्रास जैसे कुछ क्षेत्रों में इस पर बैन लगा दिया गया था. सेंसर बोर्ड ने फिल्म देखने के बाद अनाउंसमेंट की "हम जानते हैं कि आप क्या कर रहे हैं...यह विदुर नहीं, गांधीजी हैं...हम इसकी अनुमति नहीं देंगे." बता दें कि विदुर का लुक गांधीजी से मिलता जुलता था. इसलिए ब्रिटिश सरकार ने इसे तुरंत बैन करवा दिया था.
बता दें कि उन दिनों चल रहे स्वतंत्रता संग्राम को दिखाने और जनता के बीच राजनीतिक चेतना जगाने के लिए अक्सर पुरानी कथाओं का इस्तेमाल किया जाता था. आज तो फिल्मों का स्वरूप पूरी तरह बदल गया है. लेकिन फिर भी गाहे बगाहे हमें स्क्रीन पर ऐसी फिल्में देखने को मिल जाती हैं जो कि एक अच्छे स्ट्रॉन्ग मैसेज के साथ आती हैं. पिछले कुछ समय में पिंक, पैडमैन, बधाई दो, टॉयलेट कुछ ऐसी फिल्में रही हैं जो अलग-अलग तरह के मैसेजेस के साथ आईं.
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