
पिछले काफी समय से बॉलीवुड फिल्में एंटरटेनमेंट के मामले में काफी कमजोर साबित हुई हैं. बड़े-बड़े स्टार्स और न्यूकमर्स भी अपनी फिल्मों से बॉक्स ऑफिस में वो जान नहीं फूंक पाए. जब इसकी वजह तलाशने लगो तो आप कई ऐसे पॉइंट देख पाएंगे जिनकी वजह से एक फिल्म अपने मकसद में कामयाब नहीं होती. हाल में एनडीटीवी ने सीनियर एक्टर और मॉडल रहे नासिर अब्दुल्ला से बात की. नासिर ने इस पर बहुत ही मजेदार बात की. उन्होंने कहा, थियेटर में ऑडियंस की उबासी मतलब प्रोड्यूसर की उदासी. इसका सीधा मतलब ये है कि अगर फिल्म दर्शकों में दिलचस्पी नहीं जगा पा रही है और लोग थियेटर में उबासी ले रहे हैं तो इसका मतलब है कि फिल्म नहीं चलेगी और फिर कमाई का तो आप सोच ही सकते हैं.
ट्रीटमेंट में है गड़बड़ी
नासिर ने कहा कि कोई भी कहानी सही या गलत या अच्छी या बुरी नहीं होती. बल्कि ये उस कहानी का ट्रीटमेंट होता है जो कहानी को कहां से कहां पहुंचा देता है. कभी कोई सही कहानी खराब ट्रीटमेंट की वजह से खराब हो जाती है. जैसे कि आमिर खान की लाल सिंह चड्ढा को ले लीजिए. फॉरेस्ट गम्प जैसी हिट फिल्म का रीमेक यहां इस तरह का ट्रीटमेंट हुआ कि ये आमिर की सबसे बड़ी गलती बन गई.
फिल्म की लंबाई भी हो जाती है उबाऊ
नासिर ने कहा कि एक आइडल फिल्म दो घंटे या उससे अंदर ही सिमट जानी चाहिए. इससे लंबी फिल्म कई बार दिशा हीन हो जाती है. फिल्म की लंबाई के बारे में बात करते हुए उन्होंने सैफ अली खान की एजेंट विनोद से जुड़ा एक किस्सा शेयर किया नासिर ने बताया कि वह ये फिल्म देखने के लिए गए थे. क्लाइमैक्स खत्म होता है एक लड़ाई खत्म होती है लोग तालियां बजाने लगते हैं और उठने लगते हैं कि फिल्म खत्म हो गई लेकिन इसके बाद एक और ट्विस्ट आ जाता है. इस पर वो तो सीट पर बैठे रह गए क्योंकि वो फिल्म आराम से बैठकर देखना चाहते थे लेकिन थियेटर में माहौल में हलचल मच गई.
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