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धर्मेंद्र ने तैयार कर रखा था प्लान बी, अगर फिल्मों में नाकाम होते गरम धरम तो ये कार आती उनके काम- जानें कैसे?

Dharmendra News: धर्मेंद्र ने अपनी पहली कार एक बैकअप प्लान के तौर पर खरीदी थी, ताकि अगर इंडस्ट्री में उनका करियर कभी नाकाम हो जाए तो वे तैयार रहें.

धर्मेंद्र ने तैयार कर रखा था प्लान बी, अगर फिल्मों में नाकाम होते गरम धरम तो ये कार आती उनके काम- जानें कैसे?
Dharmendra News: अगर फिल्मों में सफल न होते धर्मेंद्र तो करते ये काम
नई दिल्ली:

धर्मेंद्र ने साल 1960 में फिल्म इंडस्ट्री में कदम रखा और अपने दमदार लुक और आवाज़ से सभी का दिल जीत लिया. इंडस्ट्री के एक यंग एक्टर से लेकर एक अनुभवी अभिनेता तक, दर्शकों ने उनके जीवन के हर पड़ाव पर उन्हें प्यार किया है. हालांकि, क्या आप जानते हैं कि छोटे शहर के इस लड़के ने कभी नहीं सोचा था कि वह छह दशक बाद भी सबसे चहेते स्टार बने रहेंगे. बल्कि, उन्होंने अपनी पहली कार एक 'बैकअप प्लान' के तौर पर खरीदी थी, ताकि अगर इंडस्ट्री में उनका करियर कभी नाकाम हो जाए तो वे तैयार रहें.

धर्मेंद्र का जन्म लुधियाना के नसराली में धर्मेंद्र केवल कृष्ण देओल के रूप में हुआ था. 1948 में पहली बार फिल्म 'शहीद' देखकर उन्होंने तय किया कि उन्हें स्टार दिलीप कुमार जैसा बनना है. उन्होंने मात्र 13 साल की उम्र में ही जान लिया कि उन्हें जीवन में क्या करना है.

अगर न होते सफल तो करते ये काम

इंडिया टीवी के साथ एक पुराने इंटरव्यू में, धर्मेंद्र ने बताया था कि जब वह दिलीप कुमार और अन्य अभिनेताओं को देखते थे, तो अक्सर मन ही मन सोचते थे, "ये खूबसूरत हस्तियां कहां से हैं? मुझे भी उनके बीच होना चाहिए. मैं तो वहीं का हूं." ऐसा हुआ भी, धर्मेंद्र बॉलीवुड में सुपरस्टार बनकर उभरे, हालांकि, क्या आप जानते हैं कि धर्मेंद्र के पास अपने अभिनय करियर के असफल होने की स्थिति में एक बैकअप प्लान था. बॉलीवुड के 'ही-मैन' ने अपनी पहली कार इस सोच के साथ खरीदी थी कि अगर कभी इंडस्ट्री में काम खत्म हुआ, तो वह टैक्सी ड्राइवर बन जाएंगे. सौभाग्य से, धर्मेंद्र को कभी यह ऑप्शन को नहीं चुनना पड़ा, क्योंकि दर्शकों के प्यार की वजह से वह हमेशा इंडस्ट्री में टॉप पर बने रहे.

धर्मेंद्र ने इस इंटरव्यू में कहा, "जब मैं इंडस्ट्री में थोड़ा बेहतर करने लगा और मुझे अच्छी तनख्वाह मिलने लगी, तो मैंने अपनी पहली कार, एक फ़िएट, खरीदी. हालांकि, मेरे भाई अजीत को मेरी पसंद पसंद नहीं आई. उन्होंने कहा, 'पाजी, आप एक बेहतर दिखने वाली, खुली छत वाली कार ले सकते थे, आखिरकार, आप तो हीरो हैं.' मैंने कहा, 'हम इस इंडस्ट्री पर भरोसा नहीं कर सकते. कल शायद मुझे काम न मिले. अगर हालात बिगड़े, तो कम से कम मेरे पास यह फ़िएट तो होगी, जिसे मैं टैक्सी में बदलकर अपना गुजारा कर सकूंगा.'"

धर्मेंद्र का करियर

धर्मेंद्र ने कई बॉक्स-ऑफिस हिट फ़िल्मों में अभिनय किया, जिनमें फूल और पत्थर (1966), ममता (1966), अनुपमा (1966), और आए दिन बहार के (1966) शामिल हैं. 1968 में अभिनेता की किस्मत ने फिर पलटी मारी और धर्मेंद्र ने शिखर, आंखें, इज्जत और मेरे हमदम मेरे दोस्त जैसी कई सफल फिल्में दीं, जिससे बॉलीवुड के सबसे चमकते सितारों में से एक के रूप में उनकी जगह पक्की हो गई.

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