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ऐश्वर्या, सुष्मिता को दिया कड़ी टक्कर, अक्षय कुमार के साथ किया डेब्यू, अब संन्यासी बन कर बिता रही है जिंदगी

बरखा ने 1996 में अक्षय कुमार की फिल्म खिलाड़ियों का खिलाड़ी से बॉलीवुड डेब्यू किया. इस फिल्म में रवीना टंडन और रेखा भी थीं. इसके बाद उन्होंने कई फिल्मों में काम किया, जिनमें भूत (रामगोपाल वर्मा की हिट फिल्म), समय, तेरा मेरा प्यार और ड्राइविंग मिस पामलेन शामिल हैं.

ऐश्वर्या, सुष्मिता को दिया कड़ी टक्कर, अक्षय कुमार के साथ किया डेब्यू, अब संन्यासी बन कर बिता रही है जिंदगी
हुस्न की मल्लिका ने ऐश्वर्या राय को दी जबरदस्त टक्कर
नई दिल्ली:

साल 1994 में जब ऐश्वर्या राय ने मिस वर्ल्ड का ताज अपने नाम किया और सुष्मिता सेन ने मिस यूनिवर्स, उसी समय एक और खूबसूरत चेहरा सबका ध्यान खींच रहा था. ये ऐसा चेहरा था जो हर राउंड में इन दोनों सुंदरियों को बराबरी से टक्कर दे रहा था. इस चेहरे की पहचान  बरखा मदान नाम से है. पंजाब में जन्मीं बरखा ने भी मिस इंडिया कॉन्टेस्ट में हिस्सा लिया था. भले ही वो खिताब नहीं जीत सकीं थीं, लेकिन ऐश्वर्या और सुष्मिता को कड़ी टक्कर जरूर दी थी. बाद में उन्होंने मिस टूरिज्म का ताज अपने नाम किया.

बॉलीवुड की चमक दमक में एंट्री

बरखा ने 1996 में अक्षय कुमार की फिल्म खिलाड़ियों का खिलाड़ी से बॉलीवुड डेब्यू किया. इस फिल्म में रवीना टंडन और रेखा भी थीं. इसके बाद उन्होंने कई फिल्मों में काम किया, जिनमें भूत (रामगोपाल वर्मा की हिट फिल्म), समय, तेरा मेरा प्यार और ड्राइविंग मिस पामलेन शामिल हैं. बरखा ने एक्टिंग की दुनिया में खास मुकाम तो बनाया ही साथ ही प्रोडक्शन हाउस भी शुरू किया. जिसके बैनर तले सोच लो और सुरखाब जैसी फिल्में बनाईं. टीवी की दुनिया में भी उन्होंने 20 से ज्यादा सीरियल्स किए, जैसे घर एक सपना और सात फेरे.

अचानक बदला रास्ता

साल 2012 में बरखा ने सबको चौंका दिया. करियर के पीक पर उन्होंने ग्लैमरस दुनिया को अलविदा कह दिया और बौद्ध भिक्षुणी बन गईं. उन्होंने सिर मुंडवाकर साध्वी का जीवन अपना लिया. दरअसल, बरखा का अध्यात्म की ओर झुकाव बचपन से था. जब वो 10 साल की थीं, तब सिक्किम में एक बौद्ध मठ देखकर उन्होंने मां से कहा था कि यहीं रहना चाहती हूं. वो ख्वाहिश सालों तक उनके मन में रही.

दलाई लामा से मुलाकात

बरखा ने एक इंटरव्यू में बताया कि 2000 में गोवा में उनकी मुलाकात एक विदेशी स्कॉलर से हुई, जिसने उन्हें दलाई लामा के प्रवचनों के बारे में बताया. इसके बाद वो धर्मशाला गईं और दलाई लामा से मिलकर उन्हें आध्यात्मिक शांति का अनुभव हुआ. उन्होंने कहा,“नन बनने का फैसला मैंने अचानक लिया. गुरुजी ने मुझे 24 घंटे में निर्णय लेने को कहा और मैंने संन्यास का रास्ता चुन लिया.”

नई जिंदगी से खुश हैं बरखा

बरखा आज साध्वी जीवन जी रही हैं और कहती हैं कि उन्हें अपना फैसला बिल्कुल सही लगता है. एक इंटरव्यू में उन्होंने साफ कहा, “मैं अपने निर्णय से बेहद खुश हूं. मुझे बॉलीवुड की कोई कमी महसूस नहीं होती.”
 

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