बॉलीवुड के मशहूर अभिनेता ऋषि कपूर (Rishi Kapoor) ने बीते दिन दो साल कैंसर से जंग लड़ने के बाद दुनिया को अलविदा कह दिया. उनके निधन से पूरी फिल्म इंडस्ट्री को काफी झटका लगा है. ऋषि कपूर के निधन की खबर बॉलीवुड के महानायक अमिताभ बच्चन (Amitabh Bachchan) ने ट्वीट कर दी थी. उन्होंने ट्वीट में लिखा था कि वह चला गया. ट्वीट के अलावा अमिताभ बच्चन ने ऋषि कपूर के लिए एक ब्लॉग भी लिखा, जिसमें उन्होंने बताया कि वह कभी भी उनसे मिलने हॉस्पिटल नहीं गए, क्योंकि मैं उनके भोले चेहरे पर परेशानी नहीं देखना चाहता था.
अमिताभ बच्चन (Amitabh Bachchan) ने ऋषि कपूर (Rishi Kapoor) को याद करते हुए अपने ब्लॉग में लिखा, "उन्हें उनके घर, देवनगर कॉटेज, चेंबूर में देखा था. एक यंग, ऊर्जावान, शरारती और आंखों में शरारत लिए चिंटू. उन दुर्लभ क्षणों में से एक जब मैं एक शाम राज जी के घर पर आमंत्रित किया गया था. इसके बाद भी मैंने उन्हें कई बार आरके स्टूडियो में देखा जब वह बॉबी के लिए एक एक्टर के तौर पर तैयार हो रहे थे. एक परिश्रमी और उत्साहित नौजवान, जो हर समय अपने रास्ते में आने वाली चीजों को सीखने के लिए तैयार रहता था. वे बहुत ही कॉन्फिडेंट होकर चलते थे. उनका स्टाइल बिल्कुल उनके महान दादा पृथ्वी राज जैसा था."
अमिताभ बच्चन (Amitabh Bachchan) ने आगे लिखा, "उनकी चाल को मैंने उनकी पहली फिल्म में नॉटिस किया था. इसे मैंने कभी कहीं और नहीं पाया. हमने कई फिल्मों में साथ काम किया है. जब भी वह अपनी पंक्तियां बोलते, आप उसके हर शब्द पर भरोसा कर लेते. इसका कोई विकल्प नहीं था. उनकी वास्तविकता प्रश्न से परे थी. और ऐसा कोई दूसरा नहीं था जो बिल्कुल उन्हीं की तरह गानों पर लिपसिंक कर सके. सेट पर उनका चंचल रवैया जबरदस्त था. यहां तक कि गंभीर दृश्यों में भी वह हास्य से जुड़ी चीजें ढूंढ लेते थे. केवल फिल्म के सेट पर ही नहीं, किसी फॉर्मल मीटिंग में भी वह एक रोशनी ढूंढ लेते थे और स्थिति को हल्का कर देते थे. जब भी शॉट को तैयार होने में समय लगता था तो वह अपने साथ प्लेइंग कार्ड्स लेकर आते थे. वह अपने साथ दूसरों को खेलने के लिए भी आमंत्रित करते थे, केवल मजे के लिए नहीं बल्कि एक गंभीर प्रतियोगिता के लिए."
ऋषि कपूर (Rishi Kapoor) के बारे में बात करते हुए अमिताभ बच्चन (Amitabh Bachchan) ने आगे बताया, "अपने उपचार के समय भी उन्होंने कभी भी अपनी स्थिति पर अफसोस नहीं जताया. हमेशा यही होता था कि जल्दी मिलेंगे, हॉस्पिटल जाने का रूटीन है. मैं जल्दी ही वापस आऊंगा. जीवन का जश्न उन्हें अपने पिता से विरासत में मिला था. मैं उनसे कभी भी हॉस्पिटल में मिलने नहीं गया. मैं कभी भी उनके भोले चेहरे पर परेशानी नहीं देखना चाहता था. लेकिन मुझे पूरा यकीन है कि वह अपने चेहरे पर एक मुस्कान लेकर ही गए होंगे."
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