
बॉलीवुड में कुछ जोड़ियां ऐसी होती हैं जो इतिहास रच देती हैं, और राम गोपाल वर्मा और मनोज बाजपेयी की जोड़ी इसी की मिसाल है. 1990 के दशक में उनकी जोड़ी ने सिने प्रेमियों को ऐसी फिल्में दीं जो बेजोड़ थीं. राम गोपाल वर्मा की कहानी कहने की बेबाक शैली और मनोज बाजपेयी की एक्टिंग ने सत्या, कौन, शूल और रोड जैसी यादगार फिल्में दीं, जिन्होंने हिंदी सिनेमा को नया रूप दिया. उनकी नई फिल्म 'पुलिस स्टेशन में भूत' की खबर ने उनके फैन्स को फिर से जोश से भर दिया है. इस खबर ने उस दौर की यादों को ताजा कर दिया है जब आरजीवी और मनोज मिलकर सिनेमाई जादू बिखेरा करते थे.
सत्या: मुंबई का किंग कौन?
सत्या (1998) उनकी सबसे लोकप्रिय फिल्मों में से है, जो अंडरवर्ल्ड ट्रायलॉजी की शुरुआत थी. मनोज बाजपेयी ने इसमें भीकू म्हात्रे का किरदार निभाया, एक जुनूनी मगर वफादार गैंगस्टर, जिसका डायलॉग 'मुंबई का किंग कौन? भीकू म्हात्रे!' आज भी मशहूर है. अनुराग कश्यप और सौरभ शुक्ला की स्क्रिप्ट और मुंबई की असली गलियों में शूटिंग ने फिल्म को जीवंत बनाया. मनोज के करियर के लिए यह फिल्म मील का पत्थर साबित हुई. बताया जाता है कि मनोज बाजपेयी को सत्या का रोल निभाना था. लेकिन राम गोपाल वर्मा को लगा कि भीकू म्हात्रे के लिए ऐसा मजबूत एक्टर चाहिए था जिसकी हिंदी पर पकड़ हो. इसलिए उन्होंने मनोज को यह रोल दिया. 2.50 करोड़ की सत्या ने बॉक्स ऑफिस पर 15 करोड़ रुपये का कलेक्शन किया था.
कौन? तीन कलाकार
कौन (1999) एक साइकोलॉजिकल थ्रिलर थी, जो एक ही घर में सेट थी. उर्मिला मातोंडकर मुख्य भूमिका में थीं, जबकि मनोज बाजपेयी ने रहस्यमयी अजनबी का किरदार निभाया. लिमिटेड रिसोर्सेस और बैकग्राउंड म्यूजिक से रामगोपाल वर्मा ने ऐसा माहौल रचा कि किसी के भी होश उड़ जाते. मनोज बाजपेयी का किरदार इतना कमाल का था कि दर्शक अंत तक उलझन में रहे. उस दौर के रोमांटिक ड्रामों से यह फिल्म पूरी तरह से अलग थी. तभी मनोज बाजपेयी ने एक बार कहा था कि राम गोपाल वर्मा के साथ काम करना जादुई था. कौन को 15 दिन में शूट किया गया था. फिल्म में सिर्फ तीन कैरेक्टर थे. तीसरे एक्टर सुशांत सिंह थे. 2.25 करोड़ रुपये के बजट में इसने लगभग 7 करोड़ रुपये का कलेक्शन किया.
सरकार 3 (2017), दमदार एक्टिंग
राम गोपाल वर्मा की सरकार 3 में भी मनोज बाजपेयी नजर आए थे. इस फिल्म में मनोज बाजपेयी के अलावा अमिताभ बच्चन, यामी गौतम, जैकी श्रॉफ, अमित साध और रोनित रॉय नजर आए थे. हालांकि ये फिल्म बॉक्स ऑफिस पर कुछ चमत्कार नहीं दिखा सकी. इस फिल्म का निर्देशन राम गोपाल वर्मा ने ही किया था.
अगर राम गोपाल वर्मा और मनोज बाजपेयी की एक साथ फिल्मों की बात करें तो वह रोड (2002) और शूल (1999) में भी नजर आए थे. जहां रोड में वह लिफ्ट लेकर विवेक ओबेरॉय और अंतरा माली का जीना हराम कर देते हैं तो वहीं शूल में उन्होंने ईमानदार पुलिस अफसर का किरदार निभाया जो बिहार के भ्रष्ट सिस्टम से टकराता है. इस तरह जब भी मनोज बाजपेयी और राम गोपाल वर्मा एक साथ आए हैं उन्होंने हमेशा कुछ हटकर किया है. अब ये देखना मजेदार होगा कि ये जोड़ी 'पुलिस स्टेशन में भूत' फिल्म 'सत्या' जैसी सफलता हासिल कर पाएगी.
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