PM मोदी आखिर CM नीतीश कुमार से क्यों नहीं मिलना चाहते?

तेजस्वी यादव ने इसे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का ‘अपमान' बताया है.

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और सीएम नीतीश कुमार (फाइल फोटो)
पटना:

बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को जातिगत जनगणना पर राज्य के सभी दलों के नेताओं के साथ मिलने के आग्रह पर प्रधानमंत्री कार्यालय ने दस दिन बाद भी कोई जवाब नहीं दिया है. और अब बिहार विधानसभा में  विपक्ष के नेता तेजस्वी यादव ने इसे बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का अपमान बताकर पूरे मामले को एक राजनीतिक मोड़ दे दिया हैं.

तेजस्वी यादव ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का  ‘अपमान' बताने के पीछे अपने तर्क दिये हैं और उन्होंने इस आधार पर संवादाता सम्मेलन में आरोप लगाये कि जब से बिहार के मुख्यमंत्री ने पत्र लिखा हैं उसके बाद प्रधानमंत्री कई राज्यों के मुख्यमंत्री, राज्यपाल और कई सांसद के बच्चों तक से मिले हैं, जिसका काफी प्रचार-प्रसार किया गया. लेकिन नीतीश के समर्थक नेताओं के अनुसार मिलना या ना मिलना प्रधानमंत्री के विशेषाधिकार में आता हैं. लेकिन मुख्यमंत्री ने बिहार के राजनीतिक दल के विधानमंडल दल के नेताओं के आग्रह पर पत्र लिखा, जिसका निश्चित रूप से फीड्बैक उन्हें मिला होगा क्योंकि इसी दौरान उन्होंने नीतीश मंत्रिमंडल के कई सदस्यों और सांसदों से मुलाकात भी की हैं. लेकिन नीतीश ने पत्र लिखकर अपनी तरफ से सार्वजनिक रूप से औपचारिकता पूरी की जिससे इस मुद्दे पर भविष्य में उन्हें कोई राजनीतिक नुकसान ना उठाना पड़े.

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वहीं, भाजपा के लिए निश्चित रूप से अपने सहयोगियों के जातिगत जनगणना पर पब्लिक स्टैंड से परेशानी बढ़ गयी हैं. भाजपा के नेता मानते हैं कि पार्टी के अंदर संघ इसके खिलाफ है, वहीं ओबीसी नेता चाहते हैं कि केंद्र सरकार इसके लिए सहमति देते हुए आवश्यक निर्देश जारी करे. उनका मानना हैं कि पार्टी इस मुद्दे पर असमंजस की स्थिति में जब तक रहेगी तमाम पिछड़ी जातियों में उनके खिलाफ माहौल बन सकता है. इसको भांपते हुए पार्टी ने कई यात्राओं का आयोजन किया हैं लेकिन उसका असर बहुत प्रभावी शायद ही होगा, यह भाजपा के वरिष्ठ नेता भी मानते हैं.

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लेकिन भाजपा का एक तबका मानता हैं कि पार्टी फिलहाल देख रही हैं और स्थिति का आकलन कर रही हैं क्योंकि उसको इस बात का भी डर हैं कि अगर जातिगत जनगणना पर अपनी सहमति दे दी तो शायद अगले साल यूपी चुनाव में इन जातियों के आक्रोश का नुकसान उठाना पर सकता हैं.

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