Shani Pradosh Vrat: भगवान शिव को समर्पित प्रदोष व्रत हर माह 2 पड़ते हैं. प्रदोष व्रत में भोलेनाथ का विशेष पूजन किया जाता है. आषाढ़ माह का दूसरा प्रदोष व्रत भी जल्द ही पड़ने वाला है. यह प्रदोष व्रत जुलाई में शनिवर के दिन पड़ेगा जिस चलते इसे शनि प्रदोष व्रत भी कहा जाता है. प्रदोष व्रत में भगवान शिव (Lord Shiva) के साथ-साथ माता पार्वती का पूजन भी किया जाता है. माना जाता है कि जो भक्त प्रदोष व्रत रखते हैं और प्रदोष व्रत के दिन भगवान शिव की पूजा करते हैं उनपर भोलेनाथ की विशेष कृपादृष्टि पड़ती है. इतना ही नहीं, भोलेनाथ मान्यतानुसार भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूर्ण करते हैं और उनके जीवन से कष्टों को हरकर उन्हें खुशहाली का वरदान भी देते हैं. जानिए किस मुहूर्त में और किस तरह प्रदोष व्रत पर किया जा सकता है शिव शंकर का पूजन.
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शनि प्रदोष व्रत की पूजा | Shani Pradosh Vrat Puja
पंचाग के अनुसार, आषाढ़ में शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी के दिन 1 जुलाई को शनि प्रदोष व्रत पड़ रहा है. शनिवार के दिन पड़ने वाले इस प्रदोष व्रत में पूजा का शुभ मुहूर्त शाम 7 बजकर 23 मिनट से रात 9 बजकर 24 मिनट के बीच माना जा रहा है. इस मुहूर्त में भक्त प्रदोष व्रत की पूजा कर सकते हैं.
शनिवार (Saturday) के दिन पड़ने के चलते इस प्रदोष व्रत का महत्व और ज्यादा बढ़ गया है. शनिवार के दिन को मान्यतानुसार शनि देव का दिन माना जाता है, इस चलते इस दिन शनि देव का पूजन भी होता है. इसके अतिरिक्त बजरंगबली की उपासना भी शुभ मानी जाती है.
शनि प्रदोष व्रत पर पूजा
प्रदोष व्रत के दिन सुबह-सवेरे उठकर स्नान किया जाता है. स्नान पश्चात भक्त व्रत का संकल्प लेते हैं. इसके पश्चात भगवान शिव के समक्ष हाथ जोड़ते हैं. प्रदोष व्रत की असल पूजा रात के समय होती है. पूजा के लिए भक्त शिव मंदिर जाते हैं. पूजा करने के लिए शिवलिंग पर जलाभिषेक किया जाता है. इसके अलावा, शिव मंत्रों (Shiv Mantra) का जाप होता है, आरती की जाती है और प्रदोष व्रत की कथा सुनते हैं. भगवान शिव को बेलपत्र, माला, धूप, चंदन, धतूरा, भांग और गंगाजल अर्पित किए जाते हैं.
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)