Astrology: कुंडली के सातवें भाव में गुरू की मौजूदगी जातक के लिए काफी अच्छी मानी जाती है. इस भाव में गुरू के प्रभाव से व्यक्ति काफी दयालु और बुद्धिमान होता है. सातवें भाव में गुरू (Jupiter) के प्रभाव से व्यक्ति को धन और यश की प्राप्ति होती है. कुंडली का सातवां भाव व्यक्ति के वैवाहिक जीवन, लाइफ पार्टनर तथा उसके साथ रिश्ते का प्रतिनिधित्व करता है. यह भाव नैतिक और अनैतिक रिश्ते का भी कारक है. आइए जानते हैं इस भाव में गुरु के सकारात्मक और नकारात्मक प्रभावों के बारे में.
गुरू के सकारात्मक प्रभाव
सातवें भाव में गुरू के प्रभाव से व्यक्ति शारीरिक रूप से सुंदर और आकर्षक होता है. लोग आपके व्यक्तित्व से आकर्षित हो सकते हैं. सातवें भाव में गुरू के प्रभाव से व्यक्ति काफी जिम्मेदार और ईमानदार होता है. गुरू के प्रभाव से आपकी वाणी भी मधुर होगी, जिससे लोग आपसे प्रभावित होंगे. आपको भाइयों का भी पूरा सहयोग मिलता है.
गुरू के नकारात्मक प्रभाव
सातवें भाव में गुरू के प्रभाव से शुभ के साथ ही कुछ नकारात्मक परिणाम भी देखने को मिलते हैं. अगर आप सावधानी नहीं बरतेंगे तो अनैतिक संबंध से भी इंकार नहीं किया जा सकता है. कई बार रिश्तों में मनमुटाव के कारण पार्टनर के साथ अलगाव भी हो सकता है. इस भाव में गुरू के प्रभाव से व्यक्ति कई बार अभिमानी भी हो सकता है. ऐसे में आपको अपने स्वभाव पर नियंत्रण रखने की जरूरत होगी.
वैवाहिक जीवन पर प्रभाव
सातवें भाव में गुरू के प्रभाव (Guru Effects) से व्यक्ति का वैवाहिक जीवन काफी खुशहाल, सुखी और संपन्न होता है. गुरू के प्रभाव से व्यक्ति का विवाह के बाद भाग्योदय होता है. इस भाव में गुरू के प्रभाव से आपका लाइफ पार्टनर काफी सभ्य और संपन्न होता है. आपका पार्टनर सर्वगुण संपन्न भी होगा. गुरू के प्रभाव से व्यक्ति में काफी कामुकता भी देखने को मिल सकती है.
करियर पर प्रभाव
सातवें भाव में गुरू के प्रभाव से व्यक्ति की ज्योतिष, साहित्य और कला के प्रति रूचि देखने को मिलती है. गुरू के प्रभाव से व्यक्ति की काफी जल्द उन्नति होती है. सरकारी काम, कोर्ट कचहरी के काम, चित्रकला आदि से जुड़े काम से धन का लाभ हो सकता है.
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)