
Hans yog : जातक की कुंडली में विभिन्न ज्योतिषीय योग के शुभ और अशुभ परिणाम देखने को मिलते हैं. कुछ योग अत्यंत शुभ तो, कुछ नकारात्मक परिणाम देने वाले होते हैं. इन योग का भी उसी के मुताबिक प्रभाव देखने को मिल सकता है. ये योग जातक की किस्मत को भी आकार देने में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं. यहां हम बात करेंगे, कुंडली में बनने वाले एक अति महत्वपूर्ण और शुभ, हंस योग की. जातक की कुंडली में हंस योग को काफी दुर्लभ माना जाता है. यह योग इसलिए भी खास माना जाता है, क्योंकि इस योग का संबंध गुरु से होता है. गुरु को शिक्षा और ज्ञान का कारक भी माना जाता है. ऐसे में इस योग का पूरा प्रभाव जातक के जीवन पर देखने को मिलता है. योग के प्रभाव से जातक को जीवन में सुख-समृद्धि और सफलता की प्राप्ति होती है. इस योग को कुंडली में बनने वाले पंच महापुरुष योग में से एक माना जाता है.
कैसे बनता है हंस योग
अगर किसी व्यक्ति की कुंडली के लग्न या चंद्रमा से पहले, चौथे, सातवें या दसवें भाव में कर्क, धनु या मीन राशि में गुरु मौजूद हों, तो हंस योग बनता है. हालांकि, गुरु अगर अपनी उच्च राशि कर्क में हों, तभ भी यह महत्वपूर्ण योग बनता है. चूंकि, यह शुभ और सकारात्मक योग माना जाता है, ऐसे में किसी की कुंडली में यह योग बन रहा है, तो उसे कई तरह के शुभ परिणाम देखने को मिल सकते हैं. हालांकि, यह सब ग्रह की स्थिति और उसके संयोजन के अनुसार ही होते हैं. ऐसे में गुरु की शुभ या अशुभ स्थिति के आधार पर इसके परिणाम भी अलग-अलग हो सकते हैं. देवगुरु बृहस्पति जब युवावस्था में होते हैं, तब इसके मजबूत और बेहतर परिणाम देखने को मिलते हैं.
हंस योग के सकारात्मक प्रभाव
कुंडली में हंस योग के प्रभाव से जातक धार्मिक विचारों वाला होता है. वह काफी बुद्धिमान भी होता है. इस योग के प्रभाव से जातक आकर्षक व्यक्तित्व का स्वामी होता है. जातक की शारीरिक बनावट भी काफी आकर्षक होती है. इनकी वाणी भी मधुर होती है. अगर किसी की कुंडली में हंस योग बन रहा है, तो वह दीर्घायु भी हो सकता है. हालांकि, ये जातक आध्यात्मिक प्रवृत्ति के होते हैं, ऐसे में जीवन के अंतिम पड़ाव में उन्हें एकांत में रहना पसंद होता है.
हंस योग के नकारात्मक प्रभाव
हंस योग को पंच महापुरुष योग में से एक माना जाता है, ऐसे में यह अत्यंत शुभ और सकारात्मक परिणाम देने वाला होता है. हालांकि कुछ परिस्थितियों में इसके अशुभ और नकारात्मक परिणाम भी देखने को मिल सकते हैं. यह परिणाम गुरु की स्थिति पर ही देखने को मिलता है. गुरु अगर कमजोर
स्थिति में या अशुभ ग्रहों के प्रभाव में हों, तो हंस योग को शुभ प्रभावों में कमी हो सकती है. इस योग के प्रभाव से कई बार वैवाहिक जीवन में भी समस्या देखने को मिल सकता है. ऐसे में जातक को अपनी मेहनत पर भरोसा रखते हुए गलत कार्यों से दूर रहने का प्रयास करना चाहिए.