
Jyotish Shastra: कुंडली में ग्रहों के संयोग से कई तरह के योग बनते हैं. इनमें कुछ योग शुभ होते हैं, तो कुछ अशुभ माने जाते हैं. अगर बुधादित्य योग की बात करें, तो कुंडली में यह योग आमतौर पर काफी सकारात्मक माना जाता है. ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, अगर कुंडली में बुधादित्य योग बन रहा हो, तो जातक काफी बुद्धिमान और स्वाभिमानी होता है. इतना ही नहीं, इस योग के प्रभाव से व्यक्ति काफी सुखी और संपन्न भी होता है. यानी आमतौर पर कुंडली में इस योग के बनने पर जीवन में उसके शुभ प्रभाव ही देखने को मिलते हैं, लेकिन कई बार इस योग के प्रतिकूल प्रभाव भी हो सकते हैं.
कैसे बनता है बुधादित्य योग?
कुंडली के किसी भाव में जब बुध और सूर्य एक साथ हों, तब बुधादित्य योग बनता है. सूर्य को प्रत्यक्ष देवता माना जाता है और बुध देव बुद्धि के कारक होते हैं. हालांकि, इस योग का प्रभाव ग्रहों की स्थिति और उनकी आपसी दूरी पर निर्भर करता है. कुंडली के विभिन्न भाव में बनने वाले इस योग का प्रभाव अलग-अलग होता है. वैसे बुधादित्य योग को शुभ योग माना जाता है, लेकिन कुछ भाव में इस योग का प्रभाव नकारात्मक भी हो सकता है. आइए जानते हैं बुधादित्य योग के शुभ और अशुभ प्रभाव-
बुधादित्य योग के शुभ फल
इस योग के शुभ प्रभाव की बात करें, तो जातक के जीवन में खुशियां देखने को मिलती हैं. तीसरे और चौथे भाव में बुधादित्य योग को अच्छा माना जाता है. चौथे भाव में इस योग के बनने से जातक को उम्मीद के मुताबिक सफलता मिलती है, साथ ही जातक बुद्धिमान और साहसी होता है.
बुधादित्य योग के अशुभ प्रभाव
कुंडली के दूसरे, छठे और सातवें भाव में यह योग थोड़ा अशुभ फलदायी होता है. इसी तरह बारहवें भाव में भी बुधादित्य योग के कुछ अशुभ प्रभाव देखने को मिल सकते हैं. इस स्थिति में जातक को संपत्ति से जुड़ी समस्या हो सकती है, आर्थिक नुकसान का सामना करना पड़ सकता है. इन सब से अलग शारीरिक रूप से भी परेशानियां सामने आ सकती हैं.
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)