"धूमल जी ध्यान देते थे पर CM जयराम ठाकुर तो..." : Himachal Pradesh के सेब किसानों का दर्द

सेब किसानों का कहना है कि सेब की कीमत बड़ी कंपनियां तय कर रही हैं. सेब की पैकिंग पर 18% जीएसटी लग रहा है. सरकार को जम्मू-कश्मीर की तरह हिमाचल में भी सेब की एमएसपी तय करनी चाहिए. 

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एनडीटीवी से अपना दर्द बताते हिमाचल प्रदेश के किसान.

हिमाचल प्रदेश के विधानसभा चुनाव के लिए प्रचार का आज आखिरी दिन है. सारी पार्टियां जीत के लिए पूरी ताकत झोंक रही हैं. इस चुनाव में सभी दलों ने सेब किसानों से बड़े-बड़े वादे किए हैं. इन सब के बीच एनडीटीवी ने सेब किसानों की समस्याओं और चुनाव में उनके दिल की बात जानने की कोशिश की. 

सेब किसान न तो मौजूदा बीजेपी सरकार से खुश हैं और न ही उसे कांग्रेस से कोई खास उम्मीद है. सेब किसानों ने बताया कि लागत दोगुना हो गया है, लेकिन कीमत वही है. जयराम ठाकुर को जब भाजपा ने मुख्यमंत्री बनाया तो सेब किसान काफी खुश हुए थे. उन्हें लगा था कि सेब वाले इलाके से होने के कारण वह इस मामले पर खास ध्यान देंगे, मगर हुआ उल्टा. सेब किसानों ने बताया कि प्रेमकुमार धूमल जी तो फिर भी सेब किसानों पर ध्यान देते थे, मगर जयराम ठाकुर ने तो एकदम आंखें मूंद ली हैं.

सेब किसानों का कहना है कि सेब की कीमत बड़ी कंपनियां तय कर रही हैं. सेब की पैकिंग पर 18% जीएसटी लग रहा है. सरकार को जम्मू-कश्मीर की तरह हिमाचल में भी सेब की एमएसपी तय करनी चाहिए. सेब किसानों को सब्सिडी मिलनी चाहिए.

सेब किसानों का कहना है कि किसी भी सेब उत्पादन क्षेत्र में सप्लाई चेन और इंफ्रास्ट्रक्चर तैयार नहीं किया गया. अगर किसानों को इसके लिए सब्सिडी मिलती तो अब तक राज्य में बड़ा इंफ्रास्ट्रक्चर खड़ा हो गया होता. अभी सरकार केवल उद्योगपतियों को सब्सिडी दे रही है. इससे किसानों को कोई फायदा नहीं हो रहा.

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