VIDEO: तेजी से पिघल रहा विशालकाय ग्लेशियर, वैज्ञानिकों ने चेताया, आ सकती है तबाही!

Thwaites Glacier: जर्नल नेचर में हाल में प्रकाशित दो अध्ययनों के अनुसार, यह दिखाता है कि ग्लेशियर नीचे से इस तरह सिकुड़ रहा है, जिसकी वैज्ञानिकों ने कल्पना भी नहीं की थी. इस ग्लेशियर को 'डूम्सडे ग्लेशियर' के रूप में भी जाना जाता है.

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ग्लेशियर के पिघलने की दर है खतरनाक

Antarctica Ice Melt: अंटार्कटिका महाद्वीप के पश्चिमी हिस्से में एक ग्लेशियर यानी हिमनदी रिकॉर्ड तेजी से पिघल रही है. ताजा रिपोर्ट के अनुसार, ग्लेशियर के पिघलने की रफ्तार साढ़े पांच हजार साल में सबसे तेज बताई जा रही है. अंटार्कटिका के थ्वाइट्स ग्लेशियर (Thwaites Glacier) रिकॉर्ड गति से पिघल रहा है, जो बेहद खतरनाक है. जर्नल नेचर में हाल में प्रकाशित दो अध्ययनों के अनुसार, यह दिखाता है कि ग्लेशियर नीचे से इस तरह सिकुड़ रहा है, जिसकी वैज्ञानिकों ने कल्पना भी नहीं की थी. ग्लेशियर, जो कि ब्रिटेन के आकार का है, को 'डूम्सडे ग्लेशियर' के रूप में भी जाना जाता है, क्योंकि इसके ढहने से समुद्र के स्तर में विनाशकारी वृद्धि हो सकती है.

‘डूम्सडे ग्लेशियर' पिछले 30 सालों में जलवायु परिवर्तन के लिए अतिसंवेदनशील रहा है और दुनिया भर में समुद्र के स्तर में चार प्रतिशत की वृद्धि के लिए जिम्मेदार है. भूवैज्ञानिकों के मुताबिक, अगर ग्लेशियर पिघलता है तो आने वाले सालों में दुनिया का समुद्र स्तर 25 इंच तक बढ़ सकता है. बता दें कि, इस ग्लेशियर का साइज, अमेरिका के फ्लोरिडा के बराबर है. ग्लेशियर 74,000 वर्ग मील में फैला हुआ है.

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2020 में कॉर्नल यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिक ब्रिटनी श्मिट की लीडरशिप वाली अमेरिका और ब्रिटेन के 13 वैज्ञानिकों की टीम ने अंतरराष्ट्रीय थ्वाइट्स ग्लेशियर सहयोग कार्यक्रम के तौर पर एक बड़ा फील्ड कैंपेन चलाया. इस रिसर्च वर्क के दौरान अंडरवॉटर रोबोट वाहन आइसफिन के माध्यम से थ्वाइट्स ग्लेशियर के उन हिस्सों तक वैज्ञानिक पहुंचे, जहां प्रति साल कई टन बर्फ पिघलकर समुद्र में गिरती है. इस शोध के संबंध में 15 फरवरी को नेचर जर्नल में स्टडी प्रकाशित की गई, जिसमें बताया गया कि ग्लेशियर की ढाल के तौर पर मौजूद बर्फीली चट्टान के नीचे मौजूद गर्म पानी इसके सबसे कमजोर भागों में पहुंचकर उन्हें भारी नुकसान पहुंचा रहा है.

ग्लेशियर की ढाल है बर्फ की चट्टान

दरअसल, ग्लेशियर की ढाल के तौर पर ये बर्फ की चट्टान ही उसकी रक्षा करती हैं. ऐसे में अब  चिंता का विषय यहीं है कि, समुद्र के गर्म होने से बर्फ की चट्टान कमजोर पड़ने लगी हैं और जिसकी वजह से ग्लेशियर की पिघले की गति बढ़ रही है.

ताजा रिपोर्ट के अनुसार, बर्फ की चट्टान के पिघलने की रफ्तार पहले की तुलना में धीमी है, लेकिन गहरी दरारें और सीढ़ी नुमा संरचनाएं अब काफी तेजी से पिघल रही हैं. हर साल इस ग्लेशियर की अरबों टन बर्फ पिघल रही है, जो समुद्र के जलस्तर की सालाना बढ़ोतरी में 4 प्रतिशत का योगदान करती है.

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