चीन-भारत सीमा पर कुछ सैनिकों को हटाए जाने के बावजूद तनाव बरकरार : अमेरिकी खुफिया रिपोर्ट

अमेरिका की राष्ट्रीय खुफिया निदेशक के कार्यालय ने अमेरिकी संसद को दी अपनी हालिया रिपोर्ट में कहा है कि भारत-चीन की सीमा के बीच सैनिकों को वापस बुलाने की प्रक्रिया शुरू हो जाने के बाद भी सीमा पर तनाव बना हुआ है.

चीन-भारत सीमा पर कुछ सैनिकों को हटाए जाने के बावजूद तनाव बरकरार : अमेरिकी खुफिया रिपोर्ट

भारत और चीन के बीच लद्दाख में महीनों तक तनाव चला था, जिसके बाद कई बार वार्ताएं हुई थी. (प्रतीकात्मक तस्वीर)

वॉशिंगटन:

अमेरिका के खुफिया समुदाय ने संसद से कहा कि इस साल सैनिकों को हटाए जाने के बावजूद चीन-भारत सीमा पर ‘अधिक' तनाव बना हुआ है. उसने कहा कि चीन अपनी बढ़ती ताकत दिखाने तथा पड़ोसी देशों को विवादित क्षेत्र पर अपने दावों समेत अपनी प्राथमिकताओं को बिना किसी विरोध के स्वीकार करने के लिए विवश करने के वास्ते सभी हथकंडे आजमाना चाहता है.

राष्ट्रीय खुफिया निदेशक के कार्यालय (ओडीएनआई) ने अमेरिकी संसद को दी अपनी हालिया रिपोर्ट में कहा कि चीन विदेश में अपनी आर्थिक, राजनीतिक और सैन्य मौजूदगी का विस्तार करने के लिए अरबों डॉलर के बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (बीआरआई) का प्रचार करता रहेगा.

'डिस्इंगेजमेंट की प्रक्रिया के बावजूद तनाव'

चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने 2013 में सत्ता में आने के बाद अरबों डॉलर की बीआरआई परियोजना शुरू की थी. इस परियोजना का मकसद दक्षिणपूर्व एशिया, मध्य एशिया, खाड़ी क्षेत्र, अफ्रीका और यूरोप को जमीन तथा समुद्र मार्गों से जोड़ने का है. रिपोर्ट में कहा गया है, ‘इस साल कुछ सैनिकों की वापसी के बावजूद चीन-भारत के बीच अधिक तनाव बना हुआ है. विवादित सीमा क्षेत्रों में मई 2020 से चीनी सेना की मौजूदगी, दशकों में अब तक की सबसे गंभीर तनावपूर्ण स्थिति है और इसके चलते 1975 के बाद से दोनों देशों के बीच सीमा पर पहली जानलेवा झड़प हुई.'

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इसमें कहा गया है, ‘फरवरी तक कई दौर की बातचीत के बाद दोनों देशों ने विवादित सीमा के कुछ इलाकों से सेनाओं तथा सैन्य उपकरणों को हटाया.' रिपोर्ट के मुताबिक, चीन अपनी बढ़ती ताकत को दिखाने तथा पड़ोसी देशों को विवादित क्षेत्र तथा ताइवान पर संप्रभुत्ता के दावों समेत अपनी प्राथमिकताओं को बिना किसी विरोध के स्वीकार करने के लिए विवश करने के वास्ते सभी हथकंडे आजमाना चाहता है.

'ताइवान को घेरता रहेगा चीन'

चीन हिंद-प्रशांत क्षेत्र में तेजी से सैन्य और आर्थिक प्रभाव बढ़ा रहा है जिससे क्षेत्र में विभिन्न देशों के बीच चिंता पैदा हो गई है. उसके दक्षिण चीन सागर तथा पूर्वी चीन सागर दोनों में गंभीर क्षेत्रीय विवाद हैं. रिपोर्ट में कहा गया है कि चीन ताइवान पर एकीकरण के लिए दबाव बढ़ाता रहेगा और अमेरिका-ताइवान के बीच बढ़ते रिश्तों की निंदा करता रहेगा. दरअसल, चीन ताइवान को एक बागी प्रांत की तरह देखता है जिसका एकीकरण होना चाहिए, चाहे इसके लिए उसे बलप्रयोग क्यों न करना पड़े.

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अमेरिकी खुफिया समुदाय ने कहा, ‘हमें उम्मीद है कि खींचतान बढ़ेगी, क्योंकि बीजिंग ने ताइपे को अंतरराष्ट्रीय तौर पर अलग-थलग और आर्थिक समृद्धि के लिए चीन पर निर्भर दिखाने की कोशिशें तेज कर दी हैं तथा वह इस द्वीप के आसपास सैन्य गतिविधि बढ़ा रहा है.'

ओडीएनआई ने कहा कि चीन ‘टीका कूटनीति' के जरिए अपना प्रभाव बढ़ाने की कोशिश करेगा जिसके तहत वह उन देशों को कोविड-19 टीके उपलब्ध कराएगा जिनसे उसे फायदा लेना है. चीन कोविड-19 का टीका बना रहा है.

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उसने कहा, ‘चीन अमेरिका की प्रौद्योगिक प्रतिस्पर्धा के लिए सबसे बड़ा खतरा बना रहेगा. चीन की कम्युनिस्ट पार्टी महत्वपूर्ण प्रौद्योगिकी क्षेत्रों और वाणिज्यिक एवं सैन्य प्रौद्योगिकी को निशाना बनाती है. साथ ही चीन अपनी प्रौद्योगिकी क्षमताओं को बढ़ाने के वास्ते जासूसी और चोरी के लिए विभिन्न हथकंडों का इस्तेमाल करता है.'



(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)