...तो अस्पताल मुर्दाघर में हो सकते हैं तब्दील : गाजा के हालात पर 'डॉक्टर्स विदाउट बॉर्डर्स'

डॉक्टर्स विदाउट बॉर्डर्स या मेडिसिन्स सन्स फ्रंटियर्स की दक्षिण एशिया की कार्यकारी निदेशक फरहत मंटू ने कहा कि उनके संगठन के सपोर्ट से चलने वाले दो अस्पताल हवाई हमले की चपेट में आ गए

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मंटू ने कहा कि संगठन के कुछ कर्मचारियों के परिवार विस्थापित हो गए हैं.
नई दिल्ली:

Israel-Gaza war: इजराइल के गाजा पर हमले से हालात बिगड़ते जा रहे हैं. अंतरराष्ट्रीय गैर सरकारी संगठन 'डॉक्टर्स विदाउट बॉर्डर्स' (Doctors Without Borders) ने इसे "अभूतपूर्व और विनाशकारी" कहा है. उसने चेतावनी दी है कि बिजली और ईंधन जैसी आवश्यक चीजों की कमी के कारण वास्तव में अस्पतालों के मुर्दाघर में तब्दील होने का खतरा है.

इस चिकित्सा मानवतावादी संगठन की दक्षिण एशिया की कार्यकारी निदेशक फरहत मंटू ने NDTV से एक विशेष बातचीत में कहा कि गाजा में परिस्थितियां हमेशा चुनौतीपूर्ण रही हैं लेकिन इज़राइल-हमास युद्ध के कारण मरीज इतनी बड़ी तादाद में आ रहे हैं कि जो सप्लाई आम तौर पर तीन सप्ताह तक चलती है, वह केवल तीन दिनों में ही खत्म हो गई है.

मंटू ने कहा कि, "गाजा में वर्तमान में हमारे पास 300 से अधिक डॉक्टर और स्वास्थ्य कार्यकर्ता हैं. मैंने अपनी टीमों से जो सुना है वह यह है कि स्थिति भयावह है, यह अभूतपूर्व है. मेडिसिन्स सन्स फ्रंटियर्स (MSF) ने दुनिया भर में कहीं भी ऐसी स्थिति नहीं देखी है." डॉक्टर्स विदाउट बॉर्डर्स को मेडिसिन्स सन्स फ्रंटियर्स के नाम से भी पहचाना जाता है.

'ज्यादातर मरीज बच्चे और बुजुर्ग'

इजराइल ने गाजा के 10 लाख से अधिक निवासियों को 24 घंटे के भीतर दक्षिण में जाने का आदेश दिया गया है. इस बारे में उन्होंने कहा कि यह जानने की जरूरत है कि लोगों को जाने के लिए कहीं कोई जगह नहीं है.वहां जमीन की छोटी सी पट्टी में  22 लाख से अधिक लोगों के घर हैं. उन्होंने कहा कि वहां "अंधाधुंध बमबारी और हिंसा" हो रही है.

मंटू ने कहा, "गाजा पहले से ही 16 साल से चली आ रही नाकाबंदी से प्रभावित है. वहां का स्थानीय हेल्थ सिस्टम चरमरा गया है और उसके पास धन की कमी है. हिंसा के इस अभूतपूर्व स्तर के चलते हमारी स्वास्थ्य सुविधाओं में मरीजों की आमद लगातार बढ़ रही है.वहां पर एमएसएफ तीन अस्पतालों में मदद कर रहा है. हमारे पास एक स्टैंडअलोन क्लिनिक भी है. हम सर्जिकल रोगियों का और जलने और ट्रॉमा पीड़ितों का इलाज करते हैं. हम देख रहे हैं कि हमारे अधिकांश मरीज़ बच्चे, बुजुर्ग या महिलाएं हैं." 

उन्होंने कहा कि, "पानी, फ्यूल और बिजली की सप्लाई बंद कर दी गई है. हमारी स्वास्थ्य सुविधाओं में बिजली या फ्यूल नहीं के बराबर है, जो कि अस्पताल चलाने के लिए जरूरी हैं. हमें डर है कि इसके कारण अस्पताल मुर्दाघर में बदल जाएंगे. वहां अस्पतालों में आईसीयू हैं, लेकिन लोगों की सर्जरी के बाद उनकी देखभाल की भी ज़रूरत होती है. हमें इसके लिए बिजली और फ्यूल की ज़रूरत है." 

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एमएसएफ की वरिष्ठ अधिकारी ने इस बात पर जोर दिया कि आईसीयू में भर्ती मरीजों सहित ऐसे मरीजों को स्थानांतरित करना असंभव है.

अस्पतालों पर हमले

मंटू ने दावा किया कि गाजा में "हर दूसरी इमारत" को नेस्तनाबूत किया जा रहा है. उन्होंने कहा कि एमएसएफ के दफ्तर के बगल की एक इमारत सोमवार को हवाई हमले की चपेट में आ गई थी और उनके सपोर्ट से चलने वाले दो अस्पताल भी इसकी चपेट में आ गए थे.

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इस तथ्य पर ध्यान दिलाते हुए कि उनकी टीमें थक गई हैं, उन्होंने कहा, "हम जिन मरीजों को देख रहे हैं उनकी संख्या को देखते हुए जिस सप्लाई को खत्म होने में तीन सप्ताह लगने चाहिए वे तीन दिनों में ही समाप्त हो गई हैं."

मंटू ने जोर देते हुए बताया कि उनके कर्मचारियों की सुरक्षा एक चिंता का विषय है. उन्होंने संघर्ष में शामिल सभी पक्षों से उन्हें सुरक्षित रास्ता देने और मानवीय आपूर्ति के लिए इजाजत देने का आग्रह किया. उन्होंने कहा कि एमएसएफ कर्मचारी कई वर्षों से बेहद कठिन परिस्थितियों में काम करने के आदी रहे हैं, लेकिन मौजूदा हालात उन स्थितियों से अलग हैं जो उन्होंने अतीत में देखी हैं.

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मानवीय कानून

उन्होंने कहा कि, "हमारा स्टाफ काम कर रहा है लेकिन उनके घर नष्ट हो गए हैं. उनके परिवार विस्थापित हो गए हैं और कुछ मामले लापता होने के भी हैं. हमारे लिए यह अहम है कि हमारी थकी हुई टीमों को बदल दिया जाए और हमें बाहर से आपातकालीन टीमों को लाने की इजाजत दी जाए." 

मंटू ने संघर्ष में शामिल सभी पक्षों से स्वास्थ्य सुविधाओं, स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं और स्वास्थ्य सेवा वाहनों का सम्मान करने की अपील की.उन्होंने कहा कि, "पिछले कुछ दिनों में हमने अनुभव किया है कि एम्बुलेंसों को नुकसान पहुंचाया गया है. हम चाहते हैं कि स्वास्थ्य सुविधाओं का सम्मान किया जाए. स्वास्थ्य को निशाना नहीं बनाया जाना चाहिए. हम सभी पक्षों से आग्रह करते हैं कि वे अंतर्राष्ट्रीय मानवीय कानून का सम्मान करें."

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मेडिसिन्स सन्स फ्रंटियर्स (MSF) या डॉक्टर्स विदाउट बॉर्डर्स एक गैर सरकारी संगठन है· इसकी स्थापना 20 दिसंबर 1971 को हुई थी.

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