ब्रिटेन में एक नये अध्ययन में पता चला है कि कोविड-19 (covid-19) का हवा में संक्रमण बड़ा बेतरतीब है और इसे फैलने से रोकने के लिए केवल सामाजिक या शारीरिक दूरी ही प्रभावी नहीं है. अध्ययन में टीकाकरण (vaccination) और मास्क के महत्व पर जोर दिया गया है. यूनिवर्सिटी ऑफ कैम्ब्रिज के इंजीनियरों (University of Cambridge engineers) के एक दल ने इस बारे में निर्धारण के लिए कम्प्यूटर मॉडलिंग का उपयोग किया कि लोगों के खांसने पर उसकी बहुत छोटी-छोटी बूंदें (ड्रॉपलेट) कैसे फैलती हैं. उन्होंने पाया कि मास्क नहीं होने की स्थिति में कोविड-19 से ग्रस्त कोई व्यक्ति बंद स्थान से बाहर भी दो मीटर की दूरी पर किसी और को संक्रमित कर सकता है. ब्रिटेन में इस दूरी का इस्तेमाल किया जा रहा है. अनुसंधानकर्ता दल ने यह भी पाया कि लोगों के खांसने का असर बड़े क्षेत्र में होता है और किसी सार्वजनिक स्वास्थ्य प्राधिकार के बताये अनुसार तथाकथित ‘सुरक्षित' दूरी एक से तीन या और अधिक मीटर के बीच हो सकती है.
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इस सप्ताह ‘फिजिक्स ऑफ फ्लुइड्स' जर्नल में प्रकाशित अध्ययन के प्रथम लेखक और भारतीय मूल के डॉ श्रेय त्रिवेदी ने कहा, ‘‘इस बीमारी के फैलने का एक हिस्सा विषाणु विज्ञान से जुड़ा है: यानी आपके शरीर में कितने वायरस हैं, आपने बोलते या खांसते समय कितने वायरल तत्वों को बाहर निकाला. यूनिवर्सिटी ऑफ कैम्ब्रिज में इंजीनियरिंग विभाग के त्रिवेदी ने कहा, ‘‘इसका एक और हिस्सा द्रव्य यांत्रिकी है: जैसे छोटे कणों के खांसते समय निकलने के बाद उनका क्या हुआ. द्रव्य यांत्रिकी विशेषज्ञ के रूप में हम उत्सर्जक के विषाणु विज्ञान से प्राप्तकर्ता के विषाणु विज्ञान तक के सेतु की तरह हैं और हम जोखिम आकलन में मदद कर सकते हैं.''
अध्ययन के परिणाम अंतत: बताते हैं कि सामाजिक दूरी अपने आप में वायरस के असर को कम करने का उपाय नहीं है और विशेष रूप से आने वाली सर्दियों में ये टीकाकरण, हवा की उचित आवाजाही तथा मास्क के सतत महत्व को रेखांकित करते हैं.
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