"PM के रूप में नहीं, बल्कि एक हिंदू के रूप में..": कैम्ब्रिज में रामकथा में शामिल हुए ऋषि सुनक

सुनक ने कहा, "बड़े होते हुए, मेरे पास साउथेम्प्टन में हमारे स्थानीय मंदिर में जाने की बहुत अच्छी यादें हैं. मेरे माता-पिता और परिवार हवन, पूजा, आरती का आयोजन करते थे. उसके बाद, मैं अपने भाई-बहन और चचेरे भाइयों के साथ दोपहर का भोजन और प्रसाद परोसने में मदद करता था."

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कैम्ब्रिज के कार्यक्रम में मोरारी बापू के साथ ऋषि सुनक
कैंब्रिज (यूके):

भारतीय स्वतंत्रता दिवस के दिन ब्रिटेन के प्रधानमंत्री ऋषि सुनक कैंब्रिज विश्वविद्यालय में मोरारी बापू की रामकथा में शामिल हुए. इस दौरान उन्होंने कहा कि वो यहां एक प्रधानमंत्री के रूप में नहीं, बल्कि एक हिंदू के रूप में आए हैं. पीएम ने कहा कि आज भारतीय स्वतंत्रता दिवस पर यहां आना वास्तव में सम्मान और खुशी की बात है. बापू मैं आज यहां एक हिंदू के रूप में आया हूं. सुनक ब्रिटेन के पहले भारतीय मूल के प्रधानमंत्री हैं, वो पंजाबी मूल के हिंदू भी हैं.

ऋषि सुनक का जन्म और पालन-पोषण साउथेम्प्टन में हुआ था, लेकिन ब्रिटेन के पहले अश्वेत प्रधानमंत्री के रूप में उनकी नियुक्ति पर भारतीयों ने खुशी जताई, जो अभी भी उन्हें अपनी धरती का पुत्र मानते हैं.

आध्यात्मिक गुरू मोरारी बापू ने प्रधानमंत्री का स्वागत करते हुए कहा, "एक सामान्य व्यक्ति की तरह, हमारे ऋषि साहब यहां हैं. आपका हार्दिक स्वागत है. भगवान हनुमान आपको आशीर्वाद दें और ब्रिटिश लोगों को लाभ मिले."

उन्होंने कहा कि उनकी हिंदू आस्था उनके जीवन के हर पहलू में उनका मार्गदर्शन करती है और उन्हें ब्रिटेन के प्रधानमंत्री के रूप में सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करने का साहस देती है.

ऋषि सुनक ने कहा, "धर्म को लेकर विश्वास मेरे लिए बहुत व्यक्तिगत विषय है. यह मेरे जीवन के हर पहलू में मेरा मार्गदर्शन करता है. प्रधानमंत्री बनना एक बड़ा सम्मान है, लेकिन यह एक आसान काम नहीं है. कठिन निर्णय लेने होते हैं, कठिन विकल्पों का सामना करना पड़ता है. मेरा विश्वास है ये मुझमें अपने देश के लिए सर्वश्रेष्ठ करने का साहस, शक्ति और लचीलापन देता है.''

मोरारी बापू की रामकथा की पृष्ठभूमि के रूप में भगवान हनुमान की एक बड़ी सुनहरी छवि की ओर इशारा करते हुए, ब्रिटिश प्रधानमंत्री ने कहा कि यह उन्हें याद दिलाता है कि कैसे 10 डाउनिंग स्ट्रीट में मेरी मेज पर एक सुनहरे गणेश प्रसन्न होकर बैठे हैं. उन्होंने कहा यह मुझे निर्णय लेने से पहले मुद्दों को सुनने और उन पर विचार करने के बारे में लगातार याद दिलाता है.

सुनक ने साउथेम्प्टन में अपने बचपन के वर्षों को याद किया, जहां वह अक्सर परिवार के साथ अपने पड़ोस के मंदिर में जाते थे.

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सुनक ने कहा, "बड़े होते हुए, मेरे पास साउथेम्प्टन में हमारे स्थानीय मंदिर में जाने की बहुत अच्छी यादें हैं. मेरे माता-पिता और परिवार हवन, पूजा, आरती का आयोजन करते थे. उसके बाद, मैं अपने भाई-बहन और चचेरे भाइयों के साथ दोपहर का भोजन और प्रसाद परोसने में मदद करता था."

उन्होंने कहा, "मैं देखता हूं कि बापू अपने जीवन में हर दिन निस्वार्थ सेवा, भक्ति और विश्वास बनाए रखते हैं. जैसा कि हम जानते हैं जीवन का सबसे बड़ा मूल्य कर्तव्य और सेवा है, ये हिंदू मूल्य बहुत साझा ब्रिटिश मूल्य हैं."

अपने परिवार के आप्रवासी इतिहास का संदर्भ देते हुए, सुनक ने बताया कि कथा में एकत्रित सैकड़ों लोगों में से कितने लोगों के माता-पिता और दादा-दादी थे, जो भारत और पूर्वी अफ्रीका से बहुत कम पैसे लेकर ब्रिटेन आए थे और उन्होंने अपनी पीढ़ी को अब तक के सबसे महान अवसर देने के लिए काम किया.

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ब्रिटेन के पीएम ने कहा, "मैं आज यहां से उस 'रामायण' को याद करते हुए जा रहा हूं जिस पर बापू बोलते हैं, साथ ही 'भगवद गीता' और 'हनुमान चालीसा' को भी याद कर रहा हूं. और मेरे लिए, भगवान राम हमेशा जीवन की चुनौतियों का साहस के साथ सामना करने, शासन करने के लिए एक प्रेरणादायक व्यक्ति रहेंगे."

उन्होंने 'जय सिया राम' शब्दों के साथ अपना संबोधन समाप्त किया और मंच पर आरती में भाग लिया. मोरारी बापू ने उन्हें भगवान हनुमान का आशीर्वाद दिया.

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