वेनेजुएला में निकोलस मादुरो की जीत पर इतना हंगामा क्यों? बस ड्राइवर से राष्ट्रपति बनने तक की कहानी

मादुरो की जीत पर वेनेजुएला में हिंसक विरोध-प्रदर्शन (Venezuela Protest)हो रहे हैं. चुनाव परिणामों में धांधली के आरोपों के बीच लोग सड़क पर उतर आए हैं. जमकर आगजनी की जा रही है.गुस्साई भीड़ ने राष्ट्रपति भवन तक भी पहुंचने की कोशिश की.

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दिल्ली:

अमेरिकी राज्य वेनेजुएला इन दिनों हिंसा की आग में जल रहा है. वजह है निकोलस मादुरो (Nicolas Maduro Venezuela President) को लगातार तीसरी बार राष्ट्रपति चुनाव में विजयी घोषित किया जाना. 61 साल के मादुरो एक बार फिर से वेनेजुएला की सत्ता पर काबिज होने जा रहे हैं, जिसका हर तरफ विरोध (Venezuela Protest) हो रहा है. उन्होंने पहली बार राष्ट्रपति पद साल 2013 में तत्कालीन राष्ट्रपति क्रांतिकारी समाजवादी नेता ह्यूगो शावेज की अचानक हुई मौत के बाद संभाली थी. तब मादुरो को राष्ट्रपति बनाया गया था. तब से अब तक वह देश की सत्ता पर काबिज हैं.

मादुरो ने 2024 चुनाव में भी खुद को विजयी घोषित कर दिया है. जबकि इस जीत का उन्होंने कोई सबूत तक नहीं दिया. यह चुनाव वेनेजुएला में काफी विवादास्पद रहा है. विदेशी नेता इस चुनाव परिणाम को मानने से इनकार कर रहे हैं. यहां तक कि वेनेजुएला के विपक्षी नेता मारिया कोरिना मचाडो भी चुनाव रिजल्ट को खारिज कर चुकी हैं. अमेरिका भी इसके खिलाफ है.

निकोलस मादुरो की जीत पर बवाल क्यों?

निकोलस मादुरो पर गलत तरीके से चुनाव जीतने का आरोप है. विपक्ष दावा कर रहा है कि गोंजालेज ने 70 परसेंट वोट हासिल किए हैं. लेकिन मादुरो ने खुद की जीत का दावा कर दिया है. वहीं मादुरो प्रशासन ने विपक्षी नेता मारिया के चुनाव लड़ने पर भी रोक लगा दी थी. जिसके बाद विपक्ष ने एडमंडो गोंजालेज को चुनावी मैदान में उतारा. मादुरो का दावा है कि उन्होंने विपक्ष को बड़े अंतर से पटखनी देकर सत्ता हासिल की है.

मादुरो ड्राइवर से राष्ट्रपति बनने की कहानी

  • निकोलस मादुरो पहले बस ड्राइवर हुआ करते थे.
  • लेकिन वह मादुरो ह्यूगो शावेज की यूनाइटेड सोशलिस्ट पार्टी से जुड़ गए.  
  • साल 2000 में वह पहली बार सांसद बने. 
  • धीरे-धीरे वह शावेज के करीबी बन गए. 
  • उन्होंने चुपचाप सरकार का तख्तापलट कर दिया. 
  • मादुरो साल 2005 से 2006 तक नेशनल असेंबली के अध्यक्ष पद पर रहे.
  • 2006 से 2013 तक उन्होंने विदेश मंत्री का पद संभाला.
  • साल 2012-13 में उनको उपराष्ट्रपति घोषित किया गया.
  •  शावेज की मृत्यु हो गई तो उनको राष्ट्रपति घोषित कर दिया गया.
  • इस तरह से बस ड्राइवर से वह देश की सत्ता तक पहुंच गए. 

वेनेजुएला में क्यों हो रहे विरोध-प्रदर्शन?

मादुरो की जीत के विरोध में वेनेजुएला के लोग सड़क पर उतर आए हैं. चुनावों में धांधली का आरोप लगाते हुए जमकर हिंसा और आगजनी की जा रही है. विपक्ष ने तो यहां तक दावा किया है कि उनके पास रविवार को हुए चुनाव में अपनी जीत के सबूत हैं लेकिन सरकार ने अपने हिसाब से जीत का ऐलान कर दिया है. 

मादुरो तीसरी बार बने वेनेजुएला के राष्ट्रपति

नेशनल इलेक्टोरल काउंसिल के मुताबिक, मादुरो ने मुख्य विपक्षी उम्मीदवार एडमंडो गोंजालेज को पछाड़ दिया है और 51 फीसदी वोट हासिल किए हैं. उनका कहना है कि विपक्षी नेता को  सिर्फ 44 फीसदी वोट मिले हैं, इसीलिए निकोलस मादुरो तीसरी बार राष्ट्रपति पद पर काबिज हो गए हैं. अमेरिका ने भी उनकी जीत पर आपत्ति जताते हुए कहा कि मादुरो की जीत की कोई विश्वसनीयता नहीं है. विपक्ष इसे धोखाधड़ी करार दे रहा है. विपक्ष का दावा है कि उनके नेता ने 73.2 फीसदी वोट हासिल किए हैं.

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