अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की टैरिफ पॉलिसी जल्द ही अपने और गहरे रंग दिखाएगी. अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष यानी IMF ने बुधवार, 23 अप्रैल को कहा कि आने वाले महीनों में वैश्विक स्तर पर आर्थिक विकास धीमा होने वाला है, जिसका मुख्य कारण ट्रंप के लगभग सभी व्यापारिक साझेदारों पर लगाए भारी टैरिफ से शुरू हुआ व्यापार युद्ध (ट्रेड वॉर) है. अपने वर्ल्ड इकनॉमिक आउटलूक के लेटेस्ट अंक में, IMF ने चेतावनी दी कि अमेरिका मंदी के बढ़ते जोखिम का सामना कर रहा है. साथ ही IMF ने चीन, भारत, ब्राजील और दक्षिण अफ्रीका सहित अन्य प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं के साथ-साथ सभी G7 देशों के लिए अपने आउटलुक (आर्थिक विकास की संभावना) को कम कर दिया है.
फंड ने आगाह किया कि यदि देश अपने व्यापार तनाव को "तत्काल हल" करने में विफल रहते हैं, तो इससे उनकी विकास संभावनाओं को और नुकसान हो सकता है. इसमें कहा गया है, "यदि इसे (व्यापार तनाव को) बरकरार रखा जाता है, तो टैरिफ में यह अचानक वृद्धि और संबंधित अनिश्चितता वैश्विक विकास को काफी धीमा कर देगी."
IMF के मुख्य अर्थशास्त्री पियरे-ओलिवियर गौरीनचास ने मंगलवार को वाशिंगटन में रिपोर्टर्स से कहा, "हम एक नए युग में प्रवेश कर रहे हैं क्योंकि पिछले 80 वर्षों से संचालित वैश्विक आर्थिक प्रणाली को बदला (रिसेट किया) जा रहा है...अगर कायम रहा, तो बढ़ते व्यापार तनाव और अनिश्चितता से वैश्विक विकास धीमा हो जाएगा."
IMF ने अपनी रिपोर्ट में कहा, "भारत के लिए, ग्रोथ आउटलुक 2025 में 6.2 प्रतिशत पर अपेक्षाकृत अधिक स्थिर है. यह निजी उपभोग द्वारा समर्थित है, विशेष रूप से ग्रामीण क्षेत्रों में, लेकिन व्यापार तनाव के उच्च स्तर और वैश्विक अनिश्चितता के कारण यह दर जनवरी 2025 WEO अपडेट की तुलना में 0.3 प्रतिशत कम है."
IMF की चेतावनी उस समय आई है जब तमाम देशों ने ट्रंप और उनकी टीम पर टैरिफ कम करने के लिए समझौते की मांग कर रहे हैं. व्हाइट हाउस की प्रेस सेक्रेटरी कैरोलिन लेविट के अनुसार, अब तक 18 अलग-अलग देशों ने प्रस्ताव पेश किए हैं और ट्रंप की व्यापार वार्ता टीम टैरिफ पर चर्चा के लिए इस सप्ताह 34 देशों के साथ बैठक करने वाली है. अमेरिकी राष्ट्रपति ने खुद आशा जताई है कि चीन के साथ एक व्यापार समझौते से टैरिफ में "काफी हद तक" कटौती हो सकती है, जिससे बाजार में सुधार हो सकता है.