दक्षिण अफ्रीका की 1580 रुपए वाली इस स्कीम ने कैसे कोरोना महामारी में बेरोजगारों को दी बड़ी राहत?

दक्षिण अफ्रीका (South Africa Allowance) गरीब बच्चों और वृद्धों के साथ-साथ विकलांगों को भी अनुदान देता है, लेकिन एसआरओडी ग्रांट शुरू होने तक, करीब 12 मिलियन बेरोजगार युवाओं वाले देश में इन लोगों के लिए कोई आर्थिक मदद उपलब्ध नहीं थी.

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दक्षिण अफ़्रीका में बेरोजगारी भत्ते ने बदली जिंदगियां
नई दिल्ली:

कोरोना महामारी के समय में सरकार की तरफ से दी गई मदद हर तबके के लोगों के लिए वरदान साबित हुई. भारत हो या फिर कोई अन्य देश, सरकारी मदद ने महामारी के दौरान लोगों का जीवन आसान कर दिया. कोरोना के दौरान दक्षिण अफ्रीकी सरकार (South Africa Government) ने अपने देश के बेरोजगारों को हर महीने 1,580 रुपए ($19) ग्रांट देना शुरू किया था, इस पैसे ने कैसे लाभार्थियों के जीवन को बदल दिया, यह जानकारी एक नई डॉक्यूमेंट्री फिल्म से सामने आई है. डॉक्यूमेंट्री 'ए डिसेंट पाथ' में चार मुख्य लाभार्थियों के जीवन पर सामाजिक संकट राहत (SROD)ग्रांट के प्रभाव को दिखाया गया है.

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'सरकारी मदद से लाखों बेरोजगारों को मिली राहत'

पॉलिसी एक्सपर्ट्स के साथ बातचीत में सामाजिक विकास मंत्री ज़ुलु ने कहा कि डॉक्यूमेंट्री दिखाती है कि लाभार्थियों के लिए ग्रांट का नुकसान कितना विनाशकारी हो सकता है. डॉक्यूमेंट्री के लिए फंडिंग यूनिसेफ, दक्षिण अफ्रीका के माध्यम से संयुक्त राष्ट्र सतत विकास कोष से की गई है. कोरोना महामारी के दौरान हर महीने मिलने वाली सरकारी मदद ने लाखों बेरोजगारों को तत्काल राहत दी और कई स्थानीय अर्थव्यवस्थाओं को बचाए रखा, जिससे आर्थिक आपदा में काफी कमी आई. वरना माहमारी और उसके बाद  हुए लॉकडाउन के विनाशकारी प्रभाव के बाद बड़े स्तर पर आर्थिक आपदा पैदा हो सकती थी.

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12 मिलियन बेरोजगारों को पहुंचा फायदा

राष्ट्रपति सिरिल रामफोसा ने "गरीबी को कम करने और लाभार्थियों को नौकरियों की तलाश करने और उनकी आजीविका चलाने के लिए और अन्य आर्थिक गतिविधियों में शामिल होने के लायक बनाने के लिए इस कार्यक्रम की तारीफ की. बता दें कि दक्षिण अफ्रीका गरीब बच्चों और वृद्धों के साथ-साथ विकलांगों को भी अनुदान देता है, लेकिन एसआरओडी ग्रांट शुरू होने तक, करीब 12 मिलियन बेरोजगार युवाओं वाले देश में इन लोगों के लिए कोई आर्थिक मदद उपलब्ध नहीं थी.

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साउथ अफ्रीका में SROD का विस्तार

 वित्त मंत्री हनोक गोदोंगवाना ने इस हफ्ते की शुरुआत में अपने मध्यावधि बजट नीति वक्तव्य में, 2024-25 के बजट तक एसआरओडी के विस्तार का ऐलान किया. मई 2020 में इसकी शुरुआत के बाद से यह कार्यक्रम का पांचवां साल होगा. सामाजिक विकास विभाग ने कहा कि इस बात के वैश्विक प्रमाण हैं कि इनकम हेल्प न केवल बुनियादी जरूरतों को पूरा करती है बल्कि स्थानीय अर्थव्यवस्थाओं को प्रोत्साहित करने में सबसे महत्वपूर्ण निवेशों में से एक है.

डॉक्यूमेंट्री फिल्म में बड़ा खुलासा

एक बयान में कहा गया है कि 42 देशों में एक हालिया अध्ययन से पता चला है कि विशेष रूप से उच्च असमानता वाले देशों में सरकारी ग्रांट खर्च पर पांच गुना तक गुणक रिटर्न मिलता है और दक्षिण अफ्रीका दुनिया का सबसे असमान देश है. बयान में कहा गया है, ''डॉक्यूमेंट्री इस स्पष्ट समझ के साथ खत्म होती है कि एक सभ्य सार्वभौमिक बुनियादी आय कितनी परिवर्तनकारी हो सकती है.''

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(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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