देश में पहली बार किसी महिला ने जुम्मे की नमाज़ पढ़ाई. बराबरी के हक से महरूम रहीं मुस्लिम महिलाओं के लिए केरल में हुए इस प्रयोग को एक प्रगतिशील कदम के तौर पर देखा गया लेकिन कुछ उलेमाओं को ये नागवार गुज़र रहा है. वो इसे गैर इस्लामी बता रहे हैं. क्या इसे पुरुष प्रधान समाज की दकियानूसी सोच कहा जाए या वाकई इसमें कुछ गैर धार्मिक है, देखिए कमाल खान की खास रिपोर्ट.