हम अपने रिसर्चरों और वैज्ञानिकों को नेताओं और बाबाओं से कम जानते हैं. इसमें अचरज की बात भी नहीं है. हम लोग बाबाजी और उनकी बूटी के बारे में ज्यादा जानते हैं. कम से कम इस महामारी के दौर में बाबा जी की प्रेस कांफ्रेंस तो हो रही है, जबकि होनी चाहिए थी वैज्ञानिकों की. भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) ने आखिरी प्रेस कांफ्रेंस 11 जून को की थी. जब भारत में कोरोना के 2.5 लाख मामले थे. 26 दिन से कोई प्रेस कांफ्रेंस नहीं हुई और अब संक्रमित मरीजों की संख्या 7 लाख हो गई है. इसलिए इसमें बाबा जी का कसूर नहीं कि आप वैज्ञानिकों के बारे में नहीं जानते. इसलिए बगैर किसी अपराधबोध के इस खबर को सुनिए कि गगनदीप गांग ने इस्तीफा दे दिया है.