जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय ही नहीं, आई आई टी के एम टेक और पीएचडी के छात्र भी फीस वृद्धि को लेकर आंदोलन कर रहे हैं. उत्तराखंड के 16 आर्युवेदिक कॉलेज के छात्र भी फीस वृद्धि के खिलाफ 43 दिनों से आंदोलन कर रहे हैं. यह बताता है कि खराब आर्थिक स्थिति का असर आम परिवारों पर पड़ा है. जहां नौकरियां जा रही हों, सैलरी न बढ़ रही हो, मज़दूरी घट रही हो, वहां फीस बढ़े यह अजीब है. अगर सरकारी संस्थान महंगे होंगे तो सबको शिक्षा नहीं मिलेगी. JNU में सिर्फ फीस वृद्धि को लेकर नहीं बल्कि हॉस्टल मेनुअल, लाइब्रेरी के समय को लेकर भी आंदोलन हो रहा है. कई लोग कहते हैं कि छात्र आंदोलन क्यों करते हैं, इसका जवाब ये है कि अगर आंदोलन न करें तो देश की यूनिवर्सिटी में क्या क्या खेल हो जाएगा, आपको पता नहीं चलेगा. वैसे ही लोगों की चुप्पी यूनिवर्सिटी को कबाड़ में बदल रही है जिसका नुकसान आम लोगों को ही हो रहा है.