चुनाव के आखिरी दौर में गोडसे के मुद्दे पर बीजेपी को बैकफुट पर आना पड़ा. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नाथूराम गोडसे पर बयान देने वाली पार्टी की भोपाल से प्रत्याशी प्रज्ञा ठाकुर के बारे में कहा कि वो कभी उन्हें माफ़ नहीं कर पाएंगे. साध्वी प्रज्ञा ने नाथूराम गोडसे को देशभक्त बताया था. जिसके बाद बवाल मचा और उन्हें माफ़ी मांगनी पड़ी. वैसे ये पहली बार नहीं हुआ है जब गोडसे को देशभक्त बताया गया है. 2014 में बीजेपी के सांसद साक्षी महाराज ने महाराष्ट्र के एक कार्यक्रम में कहा था कि गोडसे राष्ट्रवादी था. तब बीजेपी ने इस बयान से किनारा कर लिया था, लेकिन साक्षी महाराज चुनाव में यूपी के उन्नाव से फिर से चुनावी मैदान में हैं. बीजेपी ने खुद को इस बयान से अलग कर लिया है. लेकिन क्या इससे विवाद ख़त्म हो जाएगा. क्यों बीजेपी या आरएसएस में ही गोडसे के समर्थक बार बार सामने आते हैं? बापू के हत्यारे के महिमामंडन की पहले भी कोशिश हुई है. कुछ हिंदूवादी संगठनों ने उसका जन्मदिन मनाने तक की कोशिश की है. कमल हासन के बयान का सहारा लेकर प्रज्ञा ठाकुर गोडसे को देशभक्त बता रही हैं. गोडसे आतंकवादी है या नहीं इस पर बहस हो सकती है लेकिन देशभक्त बताने का तुक क्या कह रहा है. सवाल है क्या गांधी की हत्या को लेकर एक विचारधारा के खेमे कोई कंफ्यूजन है?