1997-98 में एशिया में वित्तीय संकट का दौर आया जब थाईलैंड ने अपनी मुद्रा बाट को अमेरिकी डॉलर के मुकाबले विनियम के लिए खुला छोड़ दिया. इससे करेंसी का लगातार अवमूल्यन शुरु हुआ और देखते ही देखते इंडोनेशिया, दक्षिण कोरिया और मलेशिया जैसे पड़ोसी देश भी इसकी जद में आए. ये मुद्रा संकट रूस और ब्राज़ील तक फैल गया और इसने वैश्किव मुद्रा संकट का रूप ले लिया. इस संकट के बाद 1999 में जी20 का गठन एक अनौपचारिक फोरम के तौर पर किया गया. मक़सद था कि दुनिया की सबसे अहम औद्योगिक और विकासशील अर्थव्यवस्था वाले देशों के वित्त मंत्री और सेंट्रल बैंक के गवर्नरों के बीच अंतराष्ट्रीय अर्थव्यवस्था और वित्तीय स्थिरता को लेकर विचार विमर्श हो और आपस में समन्वय बने.