मंगलवार को गांधीनगर में अपने पहले राजनीतिक भाषण के बाद अगले दिन प्रियंका गांधी मेरठ चली आईं. उनका मेरठ आना पहले राजनीतिक भाषण से कहीं ज़्यादा राजनीतिक था. उत्तर प्रदेश की राजनीति पर नज़र रखने वाले इस मुलाकात को नज़रअंदाज़ नहीं कर सकेंगे. भीम आरमी के नेता चंशेखर आजाद रावण से अभी तक बड़े नेता दूरी बना कर चल रहे थे. कारण यह था कि चंशेखर की अपनी एक स्वतंत्र राजनीतिक विचारधारा है और संगठन है. लगातार जेल में रहने और भाषण देने से रोके जाने के कारण चंशेखर का सियासी व्यक्तित्व भी स्वायत्त हो चुका है. इसके बाद भी प्रियंका गांधी का चंशेखर आज़ाद से मिलना घोर सियासी कदम था, जिसे लेकर खलबली चंशेखर को गिरफ्तार करने वाले योगी सरकार के खेमे में भी मचेगी और चंदशेखर को नज़रअंदाज़ करने वाले बसपा खेमे में भी.