स्मार्टफोन के कारण ही ऐप्स और ई-बिजनेस सेवाओं का विस्तार संभव हो सका है। टेलिकॉम कंपनियों को लगता है कि उनके नेटवर्क पर दूसरे आकर धंधा कर रहे हैं, उन्हें कुछ नहीं मिल रहा है। वे भी इन ऐप्स और वेबसाइट से कुछ वसूलना चाहती हैं। क्या वाकई टेलिकॉम कंपनियों की कीमत पर यह विस्तार हो रहा है या टेलिकॉम कंपनियां इस बढ़ते हुए क्षेत्र में अपनी कमाई का ज़रिया ढूंढ रही हैं। क्या वाकई नेट न्यूट्रैलिटी की स्थिती है। यह भी एक सवाल है। एक चर्चा प्राइम टाइम में इस विषय पर...