मंगलवार को इज़ इक्वल टू की थ्योरी का प्रतिपादन करते वक्त अंदाज़ा नहीं था कि प्रतिपादन के अगले ही दिन इसका फैक्ट्री उत्पादन शुरू हो जाएगा। आज तो दिल्ली में जिस तरह से इज़ इक्वल टू हुआ है क्या बताएं। असम के मामले में असम के नेता तो उत्तराखंड के मामले में उत्तराखंड के नेता दोनों दलों ने उतार दिए या उतर आए। फिर से बता दूं कि इज़ इक्वल टू वो अवस्था हैं जहां हर बहस बराबर हो जाती है।