हम सब जिसे बहुत ज़्यादा चाहते थे, मंगलवार उसे हमेशा के लिए विदा कर लोटे हैं. केदारनाथ सिंह को इस दुनिया से उस दुनिया की यात्रा के लिए विदा करने सैंकड़ों लोग आए. इतने आए कि हर शख्स दूसरे शख्स में घुल मिल गया था. जो बड़ा था वो मामूली लग रहा था, जो मामूली था वो उनकी कविता की तरह लग रहा था. अभी बिल्कुल अभी, ज़मीन पक रही है, अकाल में सारस और सृष्टि में पहरा, बाघ इन कविता संग्रहों से जो गुज़रे हैं वो सब मंगलवार को दिल्ली के लोधी शवदाह गृह में जाने से रोक नहीं सके.