वैसे तो कहते हैं कि लोहे को अगर पारस पत्थर छू ले तो वह सोना बन जाता है लेकिन सियासत के पारस ने रामविलास पासवान के सियासी वारिस की जैसे चमक ही छीन ली है. बिहार में सियासत का पहिया बहुत कम वक्त में इतनी तेजी से घूमा कि चिराग पासवान संसद में अकेले ही रह गए. उनकी पार्टी के पांच सांसद एक साथ खड़े हो गए हैं और उन्हें किनारे कर दिया गया है. बगावत की डोर संभाली है खुद उन्हीं के चाचा पशुपति पारस ने. लेकिन यह सियासी तख्ता पलट रातोंरात नहीं हुआ.