Chirag Paswan Exclusive: मैं 21वीं सदी का युवा हूं. मैं भी जात-पात, धर्म और मजहब में यकीन नहीं रखता. बेशक ये हमारे देश की कड़वी सच्चाई है कि आप इसे एड्रेस किए बिना आगे नहीं जा सकते. जाहिर तौर पर जहां जरूरत होती है, वहां इनका जिक्र हमें करना भी होता है. लेकिन फिर भी इन सबकी मेरे लिए कोई अहमियत नहीं है. मुझे नहीं लगता है कि हमें हमारे देश को जातियों या धर्म में बांटकर देखना चाहिए."