- यूपी के देवरिया जिले में मनरेगा योजना में मृत लोगों और बाहर रहने वालों के नाम पर फर्जी जॉब कार्ड बनाकर मजदूरी की रकम निकाली जा रही है.
- शिकायतकर्ता प्रियांशु पटेल का आरोप है कि गांव में कोई काम नहीं हो रहा है, फिर भी फर्जी तरीके से मजदूरी की रकम निकाली जा रही है.
- मुख्य विकास अधिकारी प्रत्यूष पांडेय ने मामले की जांच करके दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई के आदेश दिए हैं, वसूली शुरू करने को भी कहा है.
उत्तर प्रदेश के देवरिया जिले में मनरेगा योजना में बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार का खुलासा हुआ है. बैतालपुर विकासखंड के लखनचंद गांव में कई मृत व्यक्तियों और वर्षों से गांव से बाहर रह रहे लोगों के नाम पर फर्जी जॉब कार्ड बनाकर मजदूरी की रकम निकालने का मामला सामने आया है. इस घोटाले ने एक बार फिर न सिर्फ सरकारी धन की लूट को उजागर किया है बल्कि अधिकारियों की मिलीभगत पर भी सवाल खड़े कर दिए हैं.
मृतकों के नाम पर बने जॉब कार्ड
लखनचंद गांव में रहने वाले जवाहर की मौत तीन साल पहले हो चुकी है, लेकिन उनके नाम पर मनरेगा की मजदूरी उनके खाते में अभी तक जमा हो रही है. इसी तरह गांव के श्रीनिवास, रामेश्वर और राम लखन अन्य राज्यों में रहकर काम करते हैं, उनके नाम पर भी जॉब कार्ड बने हुए हैं और उनके खातों में मजदूरी की रकम भेजी जा रही है.
बाहर रहने वालों के नाम पर घोटाला
इस मामले के शिकायतकर्ता प्रियांशु पटेल ने बताया कि कई लोग मर चुके हैं, कई बाहर नौकरी कर रहे हैं और कुछ बीमार होकर बिस्तर पर पड़े हुए हैं. इसके बावजूद उनके नाम पर मनरेगा का पैसा निकाला जा रहा है. चौंकाने वाली बात ये है कि ये पैसा जिन लोगों के नाम पर निकाला जा रहा है, उन्हें मिलता भी नहीं है. गांव में कोई काम भी नहीं हो रहा है.
लूट-खसोट के खेल पर अफसरों की चुप्पी
देवरिया जिले की मनरेगा योजना में बड़े पैमाने पर लूट-खसोट का यह खेल अधिकारियों की नाक के नीचे चल रहा है. मनरेगा के डीसी आलोक पांडे ने भी इस मामले पर चुप्पी साध रखी है. शिकायत सामने आने के बाद प्रशासन में हड़कंप मच गया है.
सीडीओ बोले- जांच होगी, वसूली भी होगी
मुख्य विकास अधिकारी (CDO) प्रत्यूष कुमार पांडेय ने मामले की गंभीरता को देखते हुए जांच के आदेश दिए हैं. उन्होंने कहा है कि संबंधित अधिकारियों को इस गड़बड़ी की जांच करने और दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने का निर्देश दिया गया है. गलत तरीके से निकाली गई रकम की वसूली की कार्रवाई शुरू करने को भी कहा है. बहरहाल इस मामले ने मनरेगा योजना में सरकारी धन की बंदरबांट और अधिकारियों की लापरवाही को एक बार फिर से उजागर कर दिया है.