Blogs | रजत सेठी |शनिवार नवम्बर 19, 2016 10:52 PM IST निहित अर्थों वाले आलेखों से तत्काल वैचारिक अभिमत तैयार कर लेने के आज के दौर में सही बौद्धिक स्थान मिल पाना बहुत कठिन है. यह ऐसा स्थान है जहां कोई भी लेखक का नाम पढ़े बिना दृष्टिकोण से परिचित हो सकता है. घरवापसी और पुरस्कार वापसी के बाद, अब नोटवापसी का मुद्दा सामने आ गया है.