Blogs | रविकांत ओझा |गुरुवार फ़रवरी 1, 2024 04:22 PM IST भारत को आज़ादी मिलने के बाद, ठाकुर ने अपने गांव के स्कूल में शिक्षक के रूप में काम करने लगे. इसी वक्त 1952 में बिहार में पहला चुनाव हुआ तो वे सोशलिस्ट पार्टी के उम्मीदवार के रूप में ताजपुर निर्वाचन क्षेत्र से बिहार विधानसभा के सदस्य चुने गए. तब से लेकर 1984 तक वे कोई चुनाव नहीं हारे.