Blogs | रवीश कुमार |मंगलवार सितम्बर 11, 2018 07:02 PM IST तेल की बढ़ी क़ीमतों पर तेल मंत्री धर्मेंद्र प्रधान का तर्क है कि यूपीए सरकार ने 1.44 लाख करोड़ रुपये तेल बॉन्ड के ज़रिए जुटाए थे,जिस पर ब्याज की देनदारी 70,000 करोड़ बनती है. मोदी सरकार ने इसे भरा है. 90 रुपये तेल के दाम हो जाने पर यह सफ़ाई है तो इसमें भी झोल है. सरकार ने तेल के ज़रिए 'आपका तेल' निकाल दिया है. ऑनिद्यो चक्रवर्ती ने हिसाब लगाया है कि यूपीए ने 2005-6 से 2013-14 के बीच जितना पेट्रोल डीज़ल की एक्साइज़ ड्यूटी से नहीं वसूला उससे करीब तीन लाख करोड़ ज़्यादा उत्पाद शुल्क एनडीए ने चार साल में वसूला है. उस वसूली में से दो लाख करोड़ चुका देना कोई बहुत बड़ी रक़म नहीं है.