Literature | Edited by: अनिता शर्मा |रविवार अक्टूबर 30, 2016 10:43 AM IST मुंबई की स्लम बस्ती में खोली के सामने बैठा नौ वर्षीय ‘भाऊ’अपनी मां कांता बाई के आने का इंतजार कर रहा था. हर रोज घरों में झाड़ू-पौचा कर वह नौ-दस बजे के आस-पास लौट आती थी. आज साढ़े बारह बज चुके थे.