सस्ते पीजी में गुजारे दिन, पैसे नहीं होते थे तो पैदल ऑडिशन देने पहुंचती थीं दीपिका कक्कड़

दीपिका कक्कड़ ने हाल ही में अपने स्ट्रगल के दिनों को याद किया. उन्होंने बताया कि जब वह मां के साथ फ्लैट में शिफ्ट हुईं तो उनके पास ना मैट्रेस थी ना पर्दे. वह केवल अपना सूटकेस लेकर वन बीएचके फ्लैट में शिफ्ट हो गई थीं.

सस्ते पीजी में गुजारे दिन, पैसे नहीं होते थे तो पैदल ऑडिशन देने पहुंचती थीं दीपिका कक्कड़

टीवी एक्ट्रेस दीपिका कक्कड़

नई दिल्ली:

दीपिका कक्कड़ छोटे पर्दे का पॉपुलर चेहरा हैं. 'ससुराल सिमर का' और 'कहां हम कहां तुम' जैसे शो के साथ वह अपनी एक्टिंग का लोहा मनवा चुकी हैं. लेकिन उनकी शुरुआत बिल्कुल भी आसान नहीं थी. हाल में ईटाइम्स के साथ हुए एक इंटरव्यू में उन्होंने अपने स्ट्रगल के दिनों को याद किया और बताया कि किस तरह उन्होंने घटिया पीजी में रहकर भी अपने दिन गुजारे हैं. दीपिका ने अपने करियर की शुरुआत बतौर एयर होस्टेस की थी. लेकिन सेहत बिगड़ने के चलते उन्होंने इस करियर को छोड़ना बेहतर समझा. इसके बाद उन्होंने एक्टिंग की राह पकड़ी और यहीं अपनी किस्मत आजमाने का फैसला लिया. यहां भी उनके लिए कोई रेड कारपेट नहीं था. पैसों की तंगी थी जिस वजह से कई बार उन्हें ऑडिशन तक पैदल चलकर जाना पड़ता था. अपने स्ट्रगल के दिनों में वह ऐसे फ्लैट्स में भी रहीं जिनमें ना बेड था ना ही पर्दे. वह बस किसी तरह अपना वक्त गुजार रही थीं.

खाली हाथ आई थीं मुंबई

दीपिका ने कहा, मुझे याद है जब मैं एयर होस्टेस की नौकरी के लिए मुंबई आई तो मेरे पास एक सूटकेस और एयरबैग था. मैं मुंबई के एक सस्ते पीजी में भी रही हूं जहां एक कमरे में चार-पांच लड़कियां रहती थीं. उस वक्त इतने पैसे तो थे नहीं कि अच्छा घर ले सकूं. लड़कियों की 12-15 हजार की नौकरी हुआ करती थी इसमें खाना, ट्रैवल, रेंट, ट्रेनिंग और मेकअप का खर्च निकालना मुश्किल था. जब आप घर से दूर होते हैं तो आपको कई काम खुद करने पड़ते हैं ऐसे में दो टाइम खाना बनाना मुश्किल हो जाता है. बाहर निकलती थी तो मेरी नजर ऑटो रिक्शा के मीटर पर होती थी. मुझे पता होता था कि मेरे पास कितने पैसे हैं. जैसे ही मीटर में उतने पैसे दिखते, मैं तुरंत ऑटो रुकवा देती. आगे का सफर पैदल तय करती.'

जब मां भी आ गईं मुंबई

दीपिका ने कहा, एक समय आया जब मैं पीजी में रह-रहकर परेशान हो चुकी थी और मेरी मां भी मेरे साथ शिफ्ट हो गई थीं. मेरे घर में कुछ परेशानी चल रही थी इसलिए मां ने मेरे साथ रहने का फैसला लिया. मां के साथ पीजी में रहना काफी मुश्किल था. मैंने एक कॉलोनी में 6500 रुपए में एक बीएचके घर किराए पर लिया. उस वक्त तक मेरे पास कुछ भी नहीं था. अब जब जरूरत पड़ी तो 300-400 रुपए का एक गद्दा लिया. उस दिन के बाद करीब 15-20 दिन तक मेरी सैलरी नहीं आई. इतने दिन हमने बिना फ्रिज, गैस स्टोव और किसी भी चीज के बिताए. पर्दे की जगह पर हमने अपने दुपट्टे टांगे हुए थे. हम लोग जैसे तैसे एक ही मैट्रेस पर सो जाते थे.

'धीरे-धीरे मैंने सामान खरीदना शुरू किया. मैंने एक छोटा सा स्टोव खरीदा इसके साथ एक सिलेंडर अटैच था लेकिन वह 10 दिन से ज्यादा चलता ही नहीं था. उन दिनों उस सिलेंडर को केवल दादर में रीफिल किया जाता था तो मैं वहां तक पैदल जाती थी. मुझे मुंबई की बसों को लेकर एक फोबिया था. इसलिए मैं बस से ट्रैवल करना अवॉइड करती थी.' 

मुकाम हासिल करने के बाद भी नहीं खत्म हुई थीं परेशानियां

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दीपिका ने बताया कि पॉपुलर टीवी शो करने के बाद भी शोएब और उन्होंने मुश्किल दिन देखे हैं. खास तौर पर शादी के दौरान उन्होंने बहुत बुरा फेज देखा है. फाइनेंशियल उतार-चढ़ाव जिंदगी की हिस्सा होते हैं और ये आपको कभी भी हिट कर सकते हैं. जब आप काम करते हैं. आगे बढ़ते हैं और सही इन्वेस्टमेंट करना शुरू करते हैं तो आप फाइनेंशियली स्ट्रॉन्ग हो जाते हैं. पहले जो कुछ भी हुआ है उसे देखते हुए हमें यह तसल्ली है कि अब हमारे सिर पर छत है और अब हम अपना ड्रीम हाउस बना रहे हैं लेकिन हम अपना स्ट्रगल और मुश्किल दौर भूले नहीं है.