मंटो ट्रिलॉजी की यूट्यूब पर धूम, तीन पार्ट में बनी है फिल्म...

भारत-पाक विभाजन की त्रासदी पर दर्दनाक कहानियां लिखने वाले हिंदी-उर्दू के साझे लेखक सआदत हसन मंटो के जीवन पर यूं तो 2015 में पाकिस्तान में और 2018 में भारत में बायोपिक फिल्में बन चुकी हैं.

मंटो ट्रिलॉजी की यूट्यूब पर धूम, तीन पार्ट में बनी है फिल्म...

नई दिल्ली:

भारत-पाक विभाजन की त्रासदी पर दर्दनाक कहानियां लिखने वाले हिंदी-उर्दू के साझे लेखक सआदत हसन मंटो के जीवन पर यूं तो 2015 में पाकिस्तान में और 2018 में भारत में बायोपिक फिल्में बन चुकी हैं, मगर इस शानदार लेखक के जीवन का फलक इतना विस्तृत है कि उसे कुछ मिनटों या घंटों में नहीं समेटा जा सकता. इन दिनों यू ट्यूब पर मंटो के जीवन पर बनी शॉर्ट फिल्मों की एक ट्रिलॉजी सुर्खियां बटोर रही है. ये तीन शॉर्ट फिल्में 20 से अधिक विदेशी और देसी फिल्म महोत्सवों में दिखाई और सराही जा चुकी है. ये फिल्में मंटो के जीवन और उनके रचना संसार की तीन अलग-अलग खिड़कियां दर्शकों के सामने खोलती हैं, जिन पर पूर्व में बनी फिल्मों में रोशनी नहीं डाली गई है.

मंटो की तीसरी फिल्म ‘पहलू जो मंटो ने छुआः समलिंगी प्यार' को हाल में होली के अवसर पर यूट्यूब पर रिलीज किया गया. इससे पहले दिसंबर 2019 में ‘फ्रॉड मंटो' और नवंबर 2019 में ‘मंटो की शादी' रिलीज की गई थी. इन तीनों फिल्मों की कुल अवधि करीब 45 मिनिट है. तीनों फिल्में यूट्यूब चैनल क्रिएटिव कर्मा पर उलब्ध हैं. मंटो त्रयी का निर्देशन श्रीवास नायडु ने किया है और वह इन फिल्मों में मंटो की भूमिका भी निभा रहे हैं. मंटो के जीवन पर उपलब्ध सामग्री तथा उनके आत्मकथात्मक आलेखों पर आधारित इन फिल्मों की पटकथाएं रवि बुले ने लिखी हैं. जबकि इस त्रयी का निर्माण श्रीवास नायडु और रवि बुले ने मिलकर किया है. बीते दो वर्षों से ये फिल्में भारत समेत यूरोप, अमेरिका और एशिया के विभिन्न देशों के प्रतिष्ठित अंतरराष्ट्रीय फिल्म समारोहों में धूम मचा रही थीं.

इस समय भी इनका चयन कई फिल्म महोत्सवों में हो रखा है, जहां ये आने वाले दिनों में दिखाई जाएंग. मंटो त्रयी की पहली फिल्म ‘मंटो की शादी' जहां इस लेखक के निकाह के किस्से को बेहद रोचक अंदाज में बयान करती है, वहीं ‘फ्रॉड मंटो' में खुद मंटो बताते हैं कि वह अपने अंदर छुपे लेखक और शख्स को किस नजरिये से देखते हैं. फिल्म मे मंटो बने श्रीवास नायडु डबल रोल में हैं. वहीं तीसरी फिल्म ‘पहलू जो मंटो ने छुआः समलिंगी प्यार' समलैंगिकता के मुद्दे पर मंटो के विचारों को हमारे सामने रखती है.

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इन दिनों समाज में समलैंगित को लेकर जबरदस्त विमर्श चल रहा है. स्त्री-पुरुष संबंधों की बेबाक कहानियां लिखने वाले मंटो पर समाज में अश्लीलता परोसने के आरोप लगे और कोर्ट केस भी चले मगर उन्होंने स्त्री या पुरुष समलैंगिकता मुद्दे पर प्रत्यक्ष रूप से कोई कहानी नहीं लिखी, जैसी कि उनकी समकालीन और मित्र लेखिका इस्मत चुगताई ने ‘लिहाफ' लिखी थी. ऐसे में ‘पहलू जो मंटो ने छुआः समलिंगी प्यार' रोचक ढंग से यह बताती है कि समलैंगिकता को लेकर इस महान लेखक की सोच क्या थी.