इंडियन टेलीविजन पर यूं तो हर तरह के शो आते हैं, लेकिन कुछ ऐसे कंटेट ड्रिवन शो थे, जिन्होंने दर्शकों को सोचने पर मजबूर कर दिया. समाज में फैली रूढ़िवादिता के खिलाफ इन कहानियों ने जंग लड़ी और कहीं-ना-कहीं ये दर्शकों के दिलों में उतरी भीं. हालांकि आज भी कुछ ऐसे शो हैं जो वास्तव में मनोरंजक होते हुए भी समाज की मानसिकता बदलने में मदद करते हैं, वो भी बिना उपदेश दिए. हम यहां 4 टॉप भारतीय टीवी शो के बारे में बात कर रहे हैं, जिनकी प्रभावशाली कहानियों ने समाज में बदलाव लाने का काम किया.
1. उड़ान (Udaan)- आईपीएस अधिकारी कंचन चौधरी भट्टाचार्य की सच्ची कहानी पर आधारित, उड़ान 80 के दशक के अंत में और 90 के दशक की शुरुआत में प्रसारित होने वाले पहले भारतीय टीवी शो में से एक है, जो महिला सशक्तीकरण पर केंद्रित था. यह शो 'कल्याणी सिंह' नाम की एक युवा लड़की की कहानी है, जो हर स्तर पर लैंगिक भेदभाव से जूझते हुए आईपीएस अधिकारी बन जाती है. एक सबल महिला लीड रोल के अलावा, शो में एक पुरुष नायक 'शेखर कपूर (Shekhar)' भी है, जो महिला अधिकारी को अपने बराबर मानता है. यह शो ऐसे समय में आया जब महिलाओं को वर्दी में देखना असामान्य था और इस शो ने कई महिलाओं को अपने सपनों को पूरा करने के लिए एक उत्प्रेरक के रूप में काम किया.
2. रजनी (Rajani)- 1994 में दूरदर्शन पर प्रसारित होने वाला सीरियल, 'रजनी' हर भारतीय गृहिणी के चेहरे के साथ-साथ उनकी समस्याओं की आवाज बन गई थी. स्वर्गीय प्रिया तेंदुलकर द्वारा अभिनीत मुख्य किरदार रजनी ने गृहिणियों की दिन-प्रतिदिन की समस्याओं और उनके सहज समाधानों को चित्रित किया. रजनी एक घरेलू नाम बन गई. इसने गृहणियों को भ्रष्टाचार से लेकर मूल्यवृद्धि तक की रोजमर्रा की चुनौतियों से निपटने की दिशा में नारी सशक्तिकरण की एक नई समझ दी.
3. शांति- एक औरत की कहानी- मंदिरा बेदी (Mandira Bedi) द्वारा चित्रित शांति, फिल्म उद्योग के दो प्रभावशाली और धनी भाइयों द्वारा बेटी का बलात्कार किए जाने के बाद एक मां-बेटी की न्याय की लड़ाई की कहानी है. पीड़ित होने के बावजूद, शांति ने बताया कि महिलाएं कैसे एकतरफा लड़ाई लड़ सकती हैं और जीत सकती हैं. इसे पहली बार 1994 में प्रसारित किया गया. इसे आज भी एक प्रतिष्ठित भारतीय टीवी शो के रूप में याद किया जाता है.
4. मैं कुछ भी कर सकती हूं- यह शो एक युवा डॉक्टर, डॉ. स्नेहा माथुर की जीवन यात्रा के चारों ओर घूमती है. डॉ. माथुर मुंबई में अपने आकर्षक कैरियर को छोड़कर अपने गांव प्रतापपुर में काम करने का फैसला करती है. यह शो पुरातन सामाजिक मानदंडों और लिंग चयन, यौन और प्रजनन स्वास्थ्य, महिलाओं के स्वास्थ्य व स्वच्छता से संबंधित मुद्दों पर केन्द्रित है. डॉ. स्नेहा माथुर के नेतृत्व में, प्रतापपुर की महिलाएं सामूहिक प्रयास से अपने अधिकारों के लिए लड़ती हैं. 2014 में शुरू हुए इस शो ने अपना दो सीज़न सफलतापूर्वक पूरे कर लिए हैं और वर्तमान में इसका तीसरा सीजन दिखाया जा रहा है. भारत की महिलाओं, विशेष रूप से ग्रामीण क्षेत्रों में, डॉ. स्नेहा द्वारा समाज में बराबरी का दर्जा देने की मांग को प्रोत्साहित किया गया है.
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