कमल हासन हमेशा कुछ बड़ा और हटकर करने की कोशिश करते हैं. पांच साल पहले वे 'विश्वरूपम' लेकर आए थे और उस समय फिल्म को लेकर जबरदस्त हंगामा भी हुआ था. लेकिन इस बार ऐसा कुछ नहीं रहा और उन्होंने इस स्पाई थ्रिलर में सीधे और सपाट ढंग से कहानी कहने की कोशिश की है. 'विश्वरूपम 2' कमज़ोर कहानी और नए तरह के प्रयोग के चक्कर में बेमज़ा हो जाती है और एक समय आने पर तो इसके ख़त्म होने का इंतज़ार रहता है.
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फिल्म की कहानी कमल हासन यानी विशाम अहमद कश्मीरी की हैं जो रॉ एजेंट है और अलकायदा के निशाने पर है. फिल्म का इसके पहले पार्ट से भी गहरा कनेक्शन है और बीच में आने वाले फ्लैशबैक थोड़े तंग करते हैं. राहुल बोस का कैरेक्टर पहली फिल्म से आगे बढ़ता है. फिल्म में मुस्लिमों को लेकर संदेश दिया गया है और इस बात का इशारा है कि हर मुस्लिम आतंकी नहीं होता. कहानी के मामले में फिल्म कमजोर है और इसमें विशाम को कई मोर्चों पर जूझते हुए देखा जा सकेगा. डायरेक्शन भी निराश करता है.
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एक्टिंग के मामले में कमल हासन कमाल हैं लेकिन उन्हें अब अपनी उम्र के मुताबिक मजबूत कहानी वाले रोल करने चाहिए क्योंकि फाइटिंग सीन में वे बहुत रियल नहीं लगते हैं. फिल्म में पूजा कुमार और एंड्रिया का भी अच्छा काम है. राहुल बोस ठीकठाक हैं. लेकिन जगदीप अहलावत की एक्टिंग शानदार है. कमल हासन को कैरेक्टर रोल पर फोकस करना चाहिए.
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फिल्म का बजट लगभग 50 करोड़ रुपये बताया जाता है. लेकिन फिल्म का म्यूजिक औसत है और कुछ भी ऐसा नहीं जो बांध कर रख सके. फिर कमल हासन को लेकर हमारे जेहन में आज भी सदमा और सागर जिंदा है, और नायकन तो कालजयी फिल्म है. उनसे कुछ हटकर की उम्मीद है.
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