
नई दिल्ली:
रेटिंगः 2 स्टार
डायरेक्टरः ओमंग कुमार
कलाकारः संजय दत्त, शरद केलकर, शेखर सुमन और अदिती राव हैदरी
भूमि संजय दत्त की कमबैक फ़िल्म है और संजय से जैसी उम्मीद थी उन्होंने वैसा ही काम किया. संजय दत्त को बड़े परदे पर देखना आज भी किसी ट्रीट से कम नहीं है. लेकिन कमज़ोर और पुराने दौर की कहानी और जानदार विषय के साथ लचर ट्रीटमेंट पूरा ज़ायका बिगाड़ देता है. ओमंग कुमार के साथ यह दिक़्क़त है कि वे विषय तो अच्छा उठाते हैं लेकिन वे उसे संभाल नहीं पाते हैं. इसकी मिसाल सरबजीत रही है. फ़िल्म का कोर्टरूम सीन बेहद कमजोर है और वकीलों के तर्क बहुत ही ख़राब थे.
यह भी पढ़ें: क्या... संजय दत्त की कमबैक फिल्म 'भूमि' का डायरेक्शन नहीं करना चाहते थे ओमंग कुमार
कितनी दमदार कहानी 
फ़िल्म की शुरुआत बाप बेटी के रिश्ते के साथ होती है. संजय दत्त की आगरा में जूतों की दुकान है और अद्वितीय राव उनकी बेटी है जो वेडिंग प्लानर का काम करती है. जल्द उसकी शादी होने वाली है और शादी के कार्ड बंट रहे हैं. एक लड़का अदिति से प्यार करता है और वह अपनी शिकायत लेकर शरद केलकर के पास जाता है और फिर वह खेलता है हाइड एंड सीक का खेल. फिर अदिति को चाहने वाला यह लड़का शरद केलकर के साथ मिलकर उसका गैंगरेप करता है और इस तरह फ़िल्म में बाप बेटी का संघर्ष शुरू होता है. लेकिन फ़िल्म के सीन बहुत पुराने ज़माने के लगते हैं और एहसास देते हैं कि हमने इन्हें पहले भी देखा हुआ है.
यह भी पढ़ें: सलमान और शाहरुख को तो नहीं लेकिन संजय दत्त को हो गया उम्र से जुड़ा यह एहसास
एक्टिंग के रिंग में 
संजू बाबा हमेशा से एक शानदार एक्टर रहे हैं. उन्होंने दिखा दिया है कि एक अच्छा एक्टर हमेशा सधा हुआ ही रहता है. उनके पंच और एक्सप्रेशंस शानदार हैं. फिर एक्शन करते हुए तो वे कमाल ही कर जाते हैं. अदिति ने भी अच्छा काम किया है. लेकिन शरद केलकर धौली के किरदार में शानदार रहे हैं और खौफ़ पैदा करने का काम करते हैं. लेकिन कमज़ोर कहानी सारी मेहनत पर पानी फेर देती है.
यह भी पढ़ें: संजय दत्त ने सिंगल टेक में ही ओके कर दिया ‘भूमि’ का यह सीन
बातें और भी हैं 
फ़िल्म में गाने तंग करते हैं. ऐसा लगता है कि फ़िल्म की कहानी पर बिल्कुल भी ध्यान नहीं दिया गया है. लेकिन पुलिस का रेप को मैच से जोड़ना वाक़ई मौजूदा व्यवस्था पर ज़बरदस्त तंज है. लेकिन सब कुछ बहुत कहा-सुना लगता है. फ़िल्म का बजट लगभग 30 करोड़ रु है. लेकिन संजय दत्त और शरद केलकर की एक्टिंग के अलावा फ़िल्म में देखने के लिए कुछ खास नहीं है.
VIDEO: फिल्म 'न्यूटन' के अभिनेता राजकुमार राव से खास बातचीत
...और भी हैं बॉलीवुड से जुड़ी ढेरों ख़बरें...
डायरेक्टरः ओमंग कुमार
कलाकारः संजय दत्त, शरद केलकर, शेखर सुमन और अदिती राव हैदरी
भूमि संजय दत्त की कमबैक फ़िल्म है और संजय से जैसी उम्मीद थी उन्होंने वैसा ही काम किया. संजय दत्त को बड़े परदे पर देखना आज भी किसी ट्रीट से कम नहीं है. लेकिन कमज़ोर और पुराने दौर की कहानी और जानदार विषय के साथ लचर ट्रीटमेंट पूरा ज़ायका बिगाड़ देता है. ओमंग कुमार के साथ यह दिक़्क़त है कि वे विषय तो अच्छा उठाते हैं लेकिन वे उसे संभाल नहीं पाते हैं. इसकी मिसाल सरबजीत रही है. फ़िल्म का कोर्टरूम सीन बेहद कमजोर है और वकीलों के तर्क बहुत ही ख़राब थे.
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कितनी दमदार कहानी
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फ़िल्म की शुरुआत बाप बेटी के रिश्ते के साथ होती है. संजय दत्त की आगरा में जूतों की दुकान है और अद्वितीय राव उनकी बेटी है जो वेडिंग प्लानर का काम करती है. जल्द उसकी शादी होने वाली है और शादी के कार्ड बंट रहे हैं. एक लड़का अदिति से प्यार करता है और वह अपनी शिकायत लेकर शरद केलकर के पास जाता है और फिर वह खेलता है हाइड एंड सीक का खेल. फिर अदिति को चाहने वाला यह लड़का शरद केलकर के साथ मिलकर उसका गैंगरेप करता है और इस तरह फ़िल्म में बाप बेटी का संघर्ष शुरू होता है. लेकिन फ़िल्म के सीन बहुत पुराने ज़माने के लगते हैं और एहसास देते हैं कि हमने इन्हें पहले भी देखा हुआ है.
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एक्टिंग के रिंग में

संजू बाबा हमेशा से एक शानदार एक्टर रहे हैं. उन्होंने दिखा दिया है कि एक अच्छा एक्टर हमेशा सधा हुआ ही रहता है. उनके पंच और एक्सप्रेशंस शानदार हैं. फिर एक्शन करते हुए तो वे कमाल ही कर जाते हैं. अदिति ने भी अच्छा काम किया है. लेकिन शरद केलकर धौली के किरदार में शानदार रहे हैं और खौफ़ पैदा करने का काम करते हैं. लेकिन कमज़ोर कहानी सारी मेहनत पर पानी फेर देती है.
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बातें और भी हैं

फ़िल्म में गाने तंग करते हैं. ऐसा लगता है कि फ़िल्म की कहानी पर बिल्कुल भी ध्यान नहीं दिया गया है. लेकिन पुलिस का रेप को मैच से जोड़ना वाक़ई मौजूदा व्यवस्था पर ज़बरदस्त तंज है. लेकिन सब कुछ बहुत कहा-सुना लगता है. फ़िल्म का बजट लगभग 30 करोड़ रु है. लेकिन संजय दत्त और शरद केलकर की एक्टिंग के अलावा फ़िल्म में देखने के लिए कुछ खास नहीं है.
VIDEO: फिल्म 'न्यूटन' के अभिनेता राजकुमार राव से खास बातचीत
...और भी हैं बॉलीवुड से जुड़ी ढेरों ख़बरें...
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