राजस्थान के किसानों को अब एक वैज्ञानिक रिसर्च से अपने कृषि क्षेत्र में नवीन तकनीक का उपयोग करने का अवसर मिलेगा. जोधपुर स्थित भारत सरकार के पर्यावरण एवं वन मंत्रालय के अधीन संचालित शुष्क वन अनुसंधान संस्थान (Arid Forest research Institute) 'आफरी' ने दो परियोजनाओं पर एनजीओ 'श्री रावल मल्लिनाथ रानी रूपादे संस्थान' के साथ एमओयू साइन किया है, जिसके तहत वन आनुवांशिकी संसाधनों के संरक्षण के लिए पौधे लगाए जाएंगे.
एमओयू के तहत आफरी की दो परियोजनाओं, जिसमें पहली परियोजना के तहत राजस्थान की आर्थिक रूप से महत्वपूर्ण वृक्ष प्रजातियों के फल अनुवांशिकी संसाधनों के संरक्षण के लिए पौधारोपण करेगा. इसके तहत गुग्गल, रोहिड़ा, जाल, केर और पलाश के पौधे 5 हेक्टेयर में लगाए जाएंगे. वहीं दूसरी परियोजना के तहत जैव उर्वरकों का केर के पौधों में उपयोग का अध्ययन किया जाएगा, जिसमें 1.5 हेक्टेयर में केर के पौधे रिसर्च के लिए लगाए जाएंगे.
यह पौधरोपण पूर्ण रूप से जैविक होंगे. इसके परिणामों से क्षेत्र में हरियाली के अलावा शोध के परिणामों की जानकारी भी किसानों के लिए फायदेमंद होगी.
आफरी डायरेक्ट ने किए हस्ताक्षर
किसानों के हित से जुड़ी इस महत्वपूर्ण रिसर्च की दो परियोजनाओं पर हस्ताक्षर के लिए आफरी की तरफ से डायरेक्टर डॉ. एमआर बलोच और एनजीओ की तरफ से किसन सिंह जसोल ने एमओयू पर हस्ताक्षर किए. इस दौरान परियोजना प्रभारी डॉ. एमटी हेगड़े और ग्रुप कंवीनर डॉ. तरुण कांत भी मौजूद रहे.
रिसर्च के लिए निःशुल्क दी जमीन
आफरी के निर्देशक डॉ. एमआर बालोच ने बताया कि सभी पौधे लगाए जाएंगे. जहां 'श्री रावल मल्लिनाथ रानी रूपादे संस्थान' (एनजीओ) बिना शुल्क के जमीन तो देगा ही साथ ही संरक्षण भी प्रदान करेगा. वहीं आफरी पौधारोपण से संबंधित सभी खर्च वहन करेगा. इन दो परियोजनाओं के शोध परिणामों की जानकारी भी किसानों के लिए भी उपयोगी होगी.
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