नए साल पर रैली में नया चुनावी नारा देकर पंजाब में BJP के प्रचार का आगाज़ करेंगे PM नरेंद्र मोदी

पंजाब में पैर मजबूती से जमाने की रणनीति के तहत पार्टी राज्‍य में नया नारा देने की तैयारी में है- 'नव पंजाब, बीजेपी के नाल (नया पंजाब, बीजेपी के साथ)'.

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नई दिल्‍ली:

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी नए साल में एक बड़ी रैली के साथ पंजाब चुनाव के लिए अपने अभियान का आगाज करेंगे. इसके साफ संकेत यह हैं कि राज्‍य में अब तक सहयोगी (अकाली दल के साथ) के रोल में रहने वाली बीजेपी अब राज्‍य में 'फ्रंटफुट' पर खेलने के लिए तैयार है. सूत्र बताते हैं कि पीएम मोदी यूपी की तर्ज पर पंजाब में बडे ऐलान कर सकते हैं. आबादी के लिहाज से देश के सबसे बड़े राज्‍य उत्‍तर प्रदेश में पीएम ने कई प्रोजेक्‍ट का ऐलान किया है. सूत्र बताते हैं कि पंजाब के लिए योजनाओं और राज्‍य में इसके लाभार्थियों का विवरण तैयार किया जा रहा है और इसके आधार पर पार्टी सीधे तौर पर वोटरों से अपील रूबरू होगी.

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पंजाब में पैर मजबूती से जमाने की रणनीति के तहत पार्टी राज्‍य में नया नारा देने की तैयारी में है- 'नव पंजाब, बीजेपी के नाल (नया पंजाब, बीजेपी के साथ)'.राज्‍य में अकाली दल के साथ बीजेपी का दशकों पुराना गठबंधन खत्‍म हो चुका है, ऐसे में बीजेपी अब पूर्व सीएम अमरिंदर सिंह और सुखदेव संह ढींडसा के साथ चुनाव में वरिष्‍ठ पार्टनर के तौर पर उतरने की तैयारी में जुटी है. पार्टी के वरिष्‍ठ नेता कहते भी हैं, 'पंजाब में अगली सरकार बीजेपी के बिना गठित नहीं होनी चाहिए.'

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सूत्र बताते हैं कि बीजेपी राज्‍य की 117 सीटों में से 70 पर उतरना चाहती है. अकाली दल के साथ साझेदारी के तहत पूर्व की 23 सीटों की तुलना में यह बड़ी संख्‍या है. कैप्‍टन अमरिंदर सिंह की पंजाब लोक कांग्रेस को 30 से 35 सीटें दी जा सकती हैं जबकि ढींडसा की पार्टी को करीब 15 सीटें दी जाएंगी. पंजाब के पूर्व सीएम अमरिंदर सिंह ने पिछले माह कांग्रेस छोड़कर अपनी पारीकी घोषणा की थी. उन्‍होंने पिछले सप्‍ताह मीडिया को बताया था कि उनका बीजेपी से गठंबधन हो गया है और सीट शेयर पर बात जारी है. दोनों पार्टियों के बीच नौ राउंड की बातचीत के बाद इस गठजोड़ का ऐलान हुआ है. सूत्र बताते हैं कि बीजेपी को पंजाब में सतारूढ़  कांग्रेस, अकाली दल और अरविंद केजरीवाल की आम आदमी पार्टी में दलबदल पर भी भरोसा है. पार्टी का यह भी मानना है कि पीएम मोदी की ओर से विवादित तीनों कृषि कानूनों को वापस लिए जाने के बाद, पंजाब का किसान वोटर एक बार फिर उससे जुड़ जाएगा.

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