अगर कह सच बोल दिया जाए कि पैरालंपिक खिलाड़ियों ने करोड़ों भारतीयों का सीना गर्व से कहीं ज्यादा चौड़ा कर दिया है, तो बिल्कुल भी गलत नहीं होगा. वास्तव में, इस बार खिलाड़ियों ने सीना ही चौड़ा नहीं किया बल्कि अपने कारनामों से ऐसा संदेश भारतीयों को दिया, जो आने वाली पीढ़ियों को बहुत ही ज्यादा प्रेरणा देने का काम करेगा. ध्यान दिला दें कि भारत ने पिछले दिनों खत्म हुए खेलों में पांच स्वर्ण, आठ रजत और छह कांस्य सहित कुल 19 पदक अपनी झोली में डाले. और इन्हीं पदकों में एक खास पदक रहा पिछले दिनों कोरनाकाल में जिला गौतमबुद्ध नगर में अहम भूमिका निभाने वाले जिलाधिकारी एलवाई सुहास का, जिन्होंने बैडमिंटन में देश को रजत पदक दिलाया. तोक्यो पैरालंपिक खेलों में एलवाई सुहास इकलौते ऐसे खिलाड़ी रहे, जो एक आईएएस अधिकारी हैं. और सुहास ने हाल ही में दल की प्रदानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ हुयी मुलाकात के दौरान उनका खास तरीके से शुक्रिया अदा किया.
पीएम मोदी ने दल के सभी खिलाड़ियों का सम्मान करने और उनसे मुलाकात करने के लिए उन्हें अपने निवास पर आमंत्रित किया गया था. इस मुलाकाता का रिकॉर्डिड प्रसारण रविवार सुबह किया गया था. इसी कार्यक्रम में वाईएल सुहास ने प्रधानमंत्री के सामने अपने दिल की बात कही.
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सुहास ने पीएम से कहा, वह बचपन में दूरदर्शन पर हम होंगे कामयाब गीत देखते थे. और उनकी शारीरिक अक्षमता की वजह से गांव में स्कूल में उन्हें तीन बार दाखिला नहीं दिया गया था. लेकिन पैरालंपिक पदक ने उन्हें माननीय पीएम के पास बैठने का मौका दिया, जो उनके लिए किसी पदक से कम नहीं है. सुहास बोले, मैं इसके लिए ईश्वर का शुक्रिया अदा करता हूं. मेरे स्व. पिता कहा करते थे कि स्कूल में सीट मिला कोई बात नहीं. जिंदगी में कुछ करके दिखाना. और आज जब देश के पीएम मेरे नजदीक बैठे हैं, तो मेरे पिता को काफी खुशी मिल रही होगी.
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