मुंबई में कबूतरखाने पर रोक बरकरार, बॉम्बे हाईकोर्ट ने दिए एक्सपर्ट कमेटी बनाने के आदेश

कबूतरखानों को लेकर बंबई उच्च न्यायालय में सुनवाई हुई, जिसमें अदालत ने फिलहाल इन पर रोक बरकरार रखने का आदेश दिया है.

विज्ञापन
Read Time: 3 mins
फटाफट पढ़ें
Summary is AI-generated, newsroom-reviewed
  • मुंबई उच्च न्यायालय ने कबूतरखानों पर फिलहाल रोक लगाते हुए एक विशेषज्ञ समिति गठित करने का आदेश दिया है.
  • अदालत ने बीएमसी को सभी अस्पतालों का स्वास्थ्य संबंधी डेटा कोर्ट में प्रस्तुत करने का निर्देश दिया है.
  • कबूतरों के कारण स्वास्थ्य समस्याओं की रिपोर्ट के आधार पर कबूतरखाने बंद करने का आदेश दिया गया था.
क्या हमारी AI समरी आपके लिए उपयोगी रही?
हमें बताएं।
मुंबई:

मुंबई में कबूतरखानों को लेकर बंबई उच्च न्यायालय में सुनवाई हुई, जिसमें अदालत ने फिलहाल इन पर रोक बरकरार रखने का आदेश दिया है. अदालत ने इस मामले में एक एक्सपर्ट कमिटी गठित करने का निर्देश दिया है, ताकि विशेषज्ञों की सलाह के आधार पर उचित निर्णय लिया जा सके. न्यायालय ने स्पष्ट किया कि नागरिकों के स्वास्थ्य की रक्षा करना बीएमसी यानी मुंबई महानगरपालिका की जिम्मेदारी है. साथ ही, पक्षियों के लिए कोई वैकल्पिक स्थान उपलब्ध कराने की संभावना पर भी विचार करने की बात कही गई है.

याचिकर्ता ने कहा कि मुंबई महानगरपालिका की ओर से जो दूसरा एफिडेविट जमा किया गया था, वह अब तक याचिकाकर्ताओं को नहीं मिला. बॉम्बे हाईकोर्ट ने BMC को आदेश दिया था कि सभी अस्पतालों का डेटा कोर्ट में पेश करें. लेकिन अब तक वह डेटा कोर्ट में जमा नहीं किया गया है. कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि उसने कोई आदेश नहीं दिया है, बल्कि BMC के फैसले को चुनौती दी गई है.

मुंबई हाईकोर्ट में कबूतरखानों को लेकर सुनवाई के दौरान डॉ. राजन की रिपोर्ट को अदालत में पढ़ा गया. इससे पहले, डॉ. राजन ने अपनी रिपोर्ट में कबूतरों के कारण उत्पन्न हो रही स्वास्थ्य समस्याओं का उल्लेख किया था. उन्होंने सुझाव दिया था कि कबूतरखाने बंद किए जाएं और कबूतरों को दाना डालने पर रोक लगाई जाए. अदालत ने स्पष्ट किया कि यह रिपोर्ट उसके पास मौजूद है और इसी के आधार पर विशेषज्ञों की राय ली गई है.

हाईकोर्ट ने कहा कि कबूतरखानों को बंद करने का आदेश विशेषज्ञों और डॉक्टरों की रिपोर्ट के आधार पर लिया गया था. सार्वजनिक स्वास्थ्य के मुद्दे पर राज्य सरकार की अलग राय होने का कोई कारण नहीं है. अदालत ने यह भी कहा कि उसका उद्देश्य देश के हर नागरिक के स्वास्थ्य की रक्षा करना है. यदि राज्य सरकार इस दिशा में कोई अलग निर्णय लेना चाहती है, तो उसे ऐसा करने की स्वतंत्रता है.

अदालत ने यह भी टिप्पणी की कि कबूतरों की बीट (विष्ठा) के कारण मानव स्वास्थ्य को गंभीर और कभी-कभी अपूरणीय नुकसान हो सकता है. यह निष्कर्ष अदालत का नहीं, बल्कि चिकित्सकीय रिपोर्ट्स का है. कुछ मामलों में स्थिति इतनी गंभीर हो सकती है कि फेफड़ों के प्रत्यारोपण (lung transplant) के अलावा कोई विकल्प नहीं बचता. छोटे बच्चे और बुजुर्ग इस खतरे से सबसे अधिक प्रभावित होते हैं.

इस बीच, सरकारी वकील ने अदालत को बताया कि मुख्यमंत्री ने हाल ही में कबूतरखानों के संदर्भ में लिए गए फैसले के बाद कंट्रोल फीडिंग का विकल्प सुझाया है. इसके तहत नगर निगम को सुबह 6 से 7 बजे तक, केवल एक घंटे के लिए कबूतरों को दाना डालने की अनुमति दी जा सकती है. 

Advertisement
Featured Video Of The Day
Sardar Patel's 150 Birth Anniversary पर PM Modi ने दिलाई एकता की शपथ, केवड़िया में हुई भव्य परेड
Topics mentioned in this article