छत्तीसगढ़ : अटल आवास योजना के तहत गरीबों के लिए बनाए गए मकान दबंगों ने कर दिए धराशायी

कोरोना लॉकडाउन के दौरान दबंग नेताओं ने 32 से अधिक बेहद गरीब परिवारों को जबरिया घरों से निकालकर उनके घरों को बुलडोजर से तुड़वा दिया और ईंट, सरिया अपने साथ ले गए

विज्ञापन
Read Time: 7 mins
प्रतीकात्मक फोटो.
रायपुर:

कोरोना काल के दौरान छत्तीसगढ़ के महासमुंद जिले मे कुछ दबंग नेताओं ने बर्बरता के साथ तबाही को अंजाम दिया. ऐसा मामला छत्तीसगढ़ के इतिहास में पहले कभी नहीं देखा गया. कोरोना लॉकडाउन के दौरान जब लोगों को घर से निकलने की मनाही थी, तभी दबंग नेताओं ने 32 से अधिक बेहद गरीब परिवारों को जबरिया सरकारी घर से निकालकर उनके घरों को बुलडोजर से तुड़वा दिया और ईंट, सरिया अपने साथ ले गए. साल भर बाद हाउसिंग बोर्ड की नींद खुली तब जाकर अब पुलिस में रिपोर्ट लिखाई गई है. हाउसिंग बोर्ड के 54 मकान तोड़ दिए गए हैं. यह घर अटल आवास योजना के थे. आज पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की जयंती है, जिनके नाम पर बेघरों के लिए यह आवास योजना बनाई गई थी.

खुले आसमान के नीचे टकटकी लगाए बैठी बीमार अपंग वृद्धा सुखमोती को अपनी उम्र भी याद नहीं है. वे दूसरों के घरों में काम करती हैं. वे बन्सुला के अटल आवास में 10 साल से रह रही थीं. अब मकान चोरी हो गया. चौदह लोगों का परिवार चलाने वाले संजय बंसत और मजदूरी करने वाले अंजोर दास का भी मकान चोरी हो गया. यह सच है, क्योंकि फाइलों में घर है, लेकिन 32 से अधिक बेहद गरीब परिवारों को घर से निकालकर ताकतवरों ने उनके घरों को तोड़ दिया है. बेघर हुए कुछ लोग दूसरे गांव मे चले गए तो कुछ लोग मजदूरी करने दूसरे राज्य चले गए. शासन को इसके बारे में एक साल तक पता तक नहीं चला.

अरेकेल की पीड़ित बुजुर्ग महिला सुखमोती बाई, मजदूर अंजोर दास और पीड़ित कुली संजय बसंत ने अपना दुखड़ा एनडीटीवी को सुनाया. छत्तीसगढ़ में भाजपा शासन के समय हाउसिंग बोर्ड के माध्यम से सन 2007-08 मे निम्न तबके के लोगों के लिए अटल आवास योजना के तहत बसना ब्लाक की बन्सुला ग्राम पंचायत में 300 भवनों के निर्माण का लक्ष्य रखा गया था. 

एक लाख 10 हजार रुपये प्रति भवन के हिसाब से 330 लाख रुपये की प्रशासकीय स्वीकृति प्रदान की गई थी. अटल आवास योजना में 50 प्रतिशत राशि शासकीय अनुदान होने के चलते ग्राम बन्सुला में अटल आवास के लिए 262 ग्रामीणो ने पंजीयन कराया था. छत्तीसगढ़ हाउसिंग बोर्ड ने 54 बने मकानों के लिए ठेकेदार को 68 लाख 4 हजार 619 रुपये का भुगतान किया था. इनमें 36 मकानों के छत डाल दिए गए थे, 18 मकान अधूरे थे. इन मकानों मे पंजीयन धारकों की सहमति से रोजी - मजदूरी करने वाले एवं भीख मांगने वाले बेहद गरीब परिवार रहने लगे. 2010 मे आगे का काम बंद हो गया और लगभग 12 साल बाद 2017 मे हाउसिंग बोर्ड ने पंजीयन धारकों को पंजीयन शुल्क वापस करने का पत्र भेजकर ग्राम बन्सुला में योजना की समाप्ति की घोषणा कर दी. 

सितम्बर 2020 मे दबंग नेताओं ने बिना किसी शासकीय आदेश के सभी मकानों को तोड़ दिया और ईंट, सरिया उठाकर ले गए. हाउसिंग बोर्ड के 54 मकान तोड़ दिए गए लेकिन अधिकारी कर्मचारी गहरी नींद में सोते रहे. अब मकान तोड़े जाने के सवा साल बाद अधिकारियों की नींद खुली और बसना थाने में रिपोर्ट दर्ज कराई गई है.

Featured Video Of The Day
Weather Update: मौसम की मार... बिगड़े हालात | Mumbai Heavy Rain | 5 Ki Baat | NDTV India
Topics mentioned in this article