शिवसेना के बागी विधायक अब्दुल सत्तार (Abdul Sattar) की तीन बेटियों एवं एक बेटे का नाम उन 7,880 उम्मीदवारों की सूची में शामिल है जिन्हें शिक्षक अर्हता परीक्षा (TET) 2019-20 में कथित कदाचार के सिलसिले में अयोग्य करार दिया गया है और जिन पर रोक लगा दी गई है. पूर्ववर्ती महा विकास आघाड़ी (MVA) सरकार में मंत्री रहे सत्तार ने सोमवार को कहा कि वह इस बात की जांच की मांग करेंगे कि कैसे उनकी दो बेटियों के नाम सूची में आए जबकि वे तो यह परीक्षा ‘‘पास भी नहीं'' कर पाई थीं. उन्होंने दावा किया कि उनका बेटा इस परीक्षा में कभी शामिल ही नहीं हुआ. हालांकि तीसरी बेटी के विषय में वह जवाब देने से बचते नजर आए.
महाराष्ट्र राज्य परीक्षा परिषद (एमएससीई) ने गत बुधवार को कहा था कि उसने 7,880 उम्मीदवारों को टीईटी, 2019 के अंकपत्र में छेड़छाड़ में उनकी संलिप्तता को लेकर अयोग्य ठहरा दिया है.परिषद के अनुसार, 7,880 उम्मीदवारों में से 7,500 ने अंतिम परीक्षा के परिणाम में खुद को ‘पात्र' दिखाने के लिए पैसे देकर परिणाम में कथित रूप से छेड़छाड़ की जबकि 293 अभ्यर्थियों ने अंतिम परीक्षा के बाद स्वयं को पात्र उम्मीदवार दर्शाते हुए फर्जी प्रमाण हासिल किए. औरंगाबाद जिले के सिल्लोड से विधायक सत्तार ने कहा, ‘‘मेरी दो बेटियां (हीना कौसर अब्दुल सत्तार शेख और उज्मा नाहिद अब्दुल सत्तार शेख) जनवरी, 2020 में टीईटी परीक्षा में शामिल हुईं. मेरा बेटा एलएलबी कर रहा है. वह परीक्षा में शामिल भी नहीं हुआ. मेरी दो बेटियां परीक्षा में उत्तीर्ण नहीं हो पाईं और वे अपात्र हैं. हमारे पास यह दर्शाने के लिए प्रमाणपत्र हैं कि वे अपात्र हैं. मैं इस बात की जांच की मांग करूंगा कि कैसे उनके नाम सूची में आए.''
सत्तार की दो बेटियां उनसे संबंधित एजुकेशन सोसाइटी में काम करती हैं.
विधायक ने सवालिया लहजे में कहा, ‘‘ चूंकि मेरी दो बेटियां अपात्र थीं, इसलिए उनकी तनख्वाह रुक गई है. यदि वे पात्र होतीं तो क्या उन्होंने चार साल से शिक्षण संस्थान से लाभ (तनख्वाह) नहीं लिया होता.''अपने खिलाफ साजिश का आरोप लगाते हुए उन्होंने कहा कि विस्तृत जांच से वे लोग बेनकाब होंगे जिनका इस फर्जी सूची के पीछे हाथ है. उनसे जब उनकी तीसरी बेटी के बारे में पूछा गया तो उन्होंने यह कहते हुए सीधा जवाब नहीं दिया कि यह फर्जी मामला है. यह पूछे जाने पर कि क्या उनकी तीन बेटियां परीक्षा में शामिल हुई थीं, विधायक ने कहा कि उनकी बेटियां शादीशुदा हैं. उन्होंने कहा, ‘‘ वे अलग रहती हैं तथा मैं इस बात पर नजर नहीं रख सकता कि वह (तीसरी बेटी) किस परीक्षा में बैठी.'' इस सवाल पर कि क्या उनकी बेटियां अब भी शिक्षण संस्थान में काम करती हैं, उन्होंने कहा, ‘‘ यह मेरा शिक्षण संस्थान है और यदि वे बिना किसी पारिश्रमिक के काम करना पसंद करती हैं तो मैं क्या करूं. हमारे पास प्रमाणपत्र हैं जिन पर लिखा है कि वे अपात्र हैं. मैं नहीं जानता कि वे कैसे पात्र हो गईं. हमने सूची में उनके नाम देखे और तब हमने जांच की मांग की.'' एमएससीई की आयुक्त शैलजा दरादे ने कहा था कि पुलिस जांच में पाया गया कि 7,880 अभ्यर्थी 2019-20 टीईटी में कदाचार में शामिल पाए गए और पुलिस की रिपोर्ट के आधार पर इन सभी उम्मीदवारों को अयोग्य ठहरा दिया गया एवं उनके इस परीक्षा में फिर शामिल होने पर रोक लगा दी गई.
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